अभिजीत केस- विधान परिषद के सभापति पर पत्नी ने लगाये बेटे की हत्या का आरोप

सोचिए कि खुद को गीले में रख कर बच्चे को सूखे में सुलाने वाली मां ही जब बेटे की हत्यारी हो जाए तो समझा जा सकता है कि यह मां किस यातना के दलदल में फंसी रही होगी ।

New Delhi, Oct 23 : उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति रमेश यादव की दूसरी पत्नी मीरा यादव पुत्रहंता बन कर आज लखनऊ के सी जे एम की अदालत में दिखीं । भारी पुलिस बंदोबस्त में । एकदम अकेली और टूटी हुई । माथे पर बड़ा सा सिंदूर का टीका लगाए , मामूली सलवार , समीज में , सुधि , बुध खोई हुई सी । हताश , हैरान , परेशान और तबाह । न परिवार का कोई साथ , न कोई रिश्तेदार , न पार्टी का कोई , न कोई वकील वगैरह । मैं ने पूछा कोई आप के साथ नहीं है ? तो वह अगल बगल बैठीं दोनों महिला सिपाहियों को इंगित करती हुई बोलीं , यह लोग हैं मेरे साथ। पूछा कि आप के पति रमेश यादव ? वह हिकारत से बोलीं , विधान परिषद में हैं । बताया कि इस समय सेशन तो चल नहीं रहा तो वह चुप रह गईं । पूछा कि आप के मायके से तो कोई आया होगा , आप के साथ आ सकता था ।

कहने लगीं कि मेरे माता-पिता मर चुके हैं , अब कौन आएगा ? दूसरा बेटा ? बोलीं , बीमार है , घर में लेटा हुआ है । फिर अचानक वह मुझ से बोलीं , आप ने मुझे कैसे पहचाना ? बताया कि अख़बारों में आप की फोटो है , टी वी पर लगातार आप की फोटो चल रही है । उन्हों ने फौरन दुपट्टे से अपना चेहरा ढंक लिया । उन के चेहरे से भूख बेतरह टपक रही थी । महिला दारोगा से पूछा कि कल से इन को कुछ खिलाया , पिलाया नहीं क्या ? महिला दारोगा बोली , कुछ खा ही नहीं रहीं । हां , चाय पी है । मीरा यादव की मन:स्थिति देख कर लग रहा था कि अगर उन को अब ज़रा भी अकेले होने का अवसर मिल जाए तो पक्का वह आत्महत्या कर लेंगी ।

अदालत परिसर में वह चल भी ऐसे रही थीं गोया अपनी लाश , अपने कंधे पर ले कर चल रही हों । मैं ने पुलिस कर्मियों से यह आशंका जताई कि ध्यान रखिएगा आप लोग और जेल कर्मियों को भी यह बात ज़रूर बता दीजिएगा । महिला दारोगा बोली , जेल में कौन अकेला रहता है । मैं ने बताया कि यह लखनऊ जेल है । यहां हत्या और आत्महत्या होती रहती है । समय ने तो नहीं पर सी जे एम ने उन के साथ ज़रूर थोड़ा रहम दिखाया और उन की सुनवाई अपने चैंबर में की । तो मीरा यादव भी अपने पर आ गईं । सी जे एम को अपने घर आने का आमंत्रण देने लगीं। बार-बार अपना बयान बदलने वाली मीरा यादव ने बताया कि उन्हों ने बेटे की हत्या नहीं की है। न्यूज चैनलों पर तो उन्हों ने रमेश यादव को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है और कहा है कि बेटे की हत्या रमेश यादव ने करवाई है । रमेश यादव की पहली पत्नी से हुए बच्चों पर भी इल्जाम लगाए हैं । वैसे जायदाद बंटवारे की भी बात सामने आई है ।

खैर मीरा यादव ने अब अपने पियक्कड़ बेटे की हत्या की या नहीं की यह बात तो राम जानें । पुलिस और न्यायपालिका जाने । लेकिन हम तो इतना जानते हैं कि राजनीतिज्ञों को रखैल पालने की यह रवायत बदल देनी चाहिए । मुलायम सिंह यादव और रमेश यादव की राह पर चलना छोड़ देना चाहिए । सोचिए कि रमेश यादव खुद बड़े बंगले में रहते हैं लेकिन मीरा यादव एक छोटे से फ़्लैट में । तो एक तो रखैल होने की यातना दूसरे , हराम के पैसे से बच्चों का शराबी हो जाना मीरा यादव का जीवन तबाह कर गया है । समाज के मुंह पर कालिख लगा गया है। सोचिए कि खुद को गीले में रख कर बच्चे को सूखे में सुलाने वाली मां ही जब बेटे की हत्यारी हो जाए तो समझा जा सकता है कि यह मां किस यातना के दलदल में फंसी रही होगी । सभी माता , पिता को चाहिए कि एक तो वह हराम का पैसा कमाने से बचें दूसरे , बच्चों पर पर्याप्त ध्यान दें ताकि वह शराबी और नशेड़ी होने की इस हद तक न चले जाएं कि माता , पिता को उन की हत्या करनी पड़ जाए ।

(वरिष्ठ पत्रकार दयानंद पांडेय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)