यूपी चुनाव- 95 साल की इस बुजुर्ग अम्मा की जुबान पर हो जाता है विधायक की हार-जीत का फैसला

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दुइजी अम्मा ना सिर्फ गांववालों के झगड़े निपटाती है, बल्कि उनके वोट देने का रुझान भी तय करती है, अम्मा जिसे चुनती है, गांव के वोटर उसी को वोट देते हैं।

New Delhi, Jan 04 : प्रयागराज मुख्यालय से करीब 70 किमी दूर स्थित जुही कोठी गांव बार विधानसभा इलाके में पड़ता है, ये आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, जहां विधायकों की जीत-हार जूही कोठी की रहने वाली 95 वर्षीय दुईजी अम्मा करती है, जूही कोठी गांव में वोट देना किसी का व्यक्तिगत मामला नहीं है, वो तो बस एक ही की पसंद है, जिसे लगभग हर कोई मानता है, इसकी वजह कोई जोर-जबरदस्ती नहीं बल्कि दुइजी अम्मा की सेवा और समर्पण है, 95 साल की इस बुजुर्ग महिला ने अपने क्षेत्र के आदिवासियों की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया है, वो हर किसी के सुख-दुख में साथ होती है।

सुख-दुख में शामिल
दुइजी अम्मा ना सिर्फ गांववालों के झगड़े निपटाती है, बल्कि उनके वोट देने का रुझान भी तय करती है, अम्मा जिसे चुनती है, गांव के वोटर उसी को वोट देते हैं, इसलिये ये हैरानी नहीं कि शंकर गढ ब्लॉक स्थित छोटे से गांव में 2022 विधानसभा चुनावों में भी शायद वही होगा, स्थानीय नेता यहां प्रचार करते आते हैं, तो अम्मा को पूरे चुनाव अपने गाड़ियों में साथ लेकर घूमते हैं, कई सोशल मीडिया और कुछ घरों में टीवी के जरिये राजनीतिक संदेश भी आते हैं, जो लोगों की पसंद पर भी उसका असर होता ही है, लेकिन मोटे तौर पर अम्मा ही बताती है कि किसे वोट देना है, वोटिंग की पूर्व संख्या पर अम्मा चाहे जिसे चुनें, गांव के लोग उसे ही वोट करते हैं।

हर किसी से मिलती हैं
चुनाव के समय जो भी नेता जूही कोठी आता है, दुइजी अम्मा हर किसी से मिलती हैं, अम्मा उनका स्वागत करती है, उनसे प्यार से कहती है कि व उनके लिये जो भी अच्छा होगा, करेंगी, अमूमन उनसे कहती हैं जरुर करब, जब कोई उनका समर्थन पाने को उतावला दिखता है, तो वो कह देती हैं, अभी तो बहुत दिन बाकी है। अम्मा की यही खासियत बाकी सामुदायिक नेताओं से उन्हें अलग बनाती हैं, दुइजी अम्मा कोल समुदाय की हैं, जो इलाके का सबसे बड़ा आदिवासी समुदाय है, यूपी सरकार उसे अनुसूचित जाति घोषित कर चुकी है, वहीं समुदाय के लोग अपने लिये अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग कर रहे हैं, स्कूल ना गई अम्मा समुदाय के सरोकार को समझती है, जो भी राजनीतिक पार्टी उनसे संपर्क करती है, सबसे ये मुद्दा उठाती हैं, वो सतर्क और समझदार हैं, हर फैसले अपनी अंतरदृष्टि से करती है।

बातें काटने वाला कोई नहीं
वो कैसे तय करती है कि किस पार्टी और उम्मीदवार को वोट किया जाए, इसके जवाब में उन्होने कहा जान सुनकर, हालांकि गांव के ज्यादातर मामले अम्मा ही निपटाती है, इसके साथ ही आस-पड़ोस के इलाकों में भी अम्मा की बातों को काटने वाला कोई नहीं है, Yogi modi1 ख्वाबों को छोड़ दिया जाए, तो अम्मा की कही बातें पत्थर की लकीर साबित हो जाती है। फिलहाल अम्मा की बातों से ये पता चला कि उस बार भी बारा विधानसभा में बीजेपी की जीत होगी, दुइजी अम्मा ने सीएम योगी और पीएम मोदी के कामों की तारीफ की।