जन्म के बाद अस्पताल में छोड़ गई थी मां, सांसद बन रच दिया इतिहास

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पिछले सप्ताह हुए पहले भारतीय मूल के लोगों के सांसद सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे निकलॉस ने बातचीत में कई ऐसी बातें बताई, जो दूसरों के लिये प्रेरणादायक हो सकती है।

New Delhi, Jan 20 : दक्षिण भारत के कर्नाटक में पैदा हुए निकलॉस सैमुअल गगर स्विट्जरलैंड में सांसद बन गये हैं, 48 साल के निकलॉस भारतीय मूल के पहले स्विस सांसद हैं, इतना ही नहीं वो स्विस संसद के सबसे युवा सदस्यों में से भी एक हैं। निकोलस के जन्म के बाद ही उनकी मां ने उन्हें त्याग दिया था, जिसके बाद एक स्विस दंपत्ति ने उन्हें गोद ले लिया थे, उनके नये माता-पिता फ्रित्ज और एलिजाबेथ उन्हें अपने साथ लेकर केरल चले गये थे, तब निकलॉस सिर्फ 15 दिन के थे।

मां ने जन्म के बाद छोड़ दिया
कर्नाटक के उडुपी में 1 मई 1970 को निकलॉस का जन्म हुआ था, लेकिन जन्म के बाद ही उनकी मां अनुसूया ने उन्हें त्याग दिया था, Swiss4वो उन्हें अपने साथ नहीं रखना चाहती थी, उन्होने डॉक्टरों से कहा था कि मेरे बच्चे को किसी ऐसे दंपत्ति को दे दें, जो उनका बेहतर तरीके से पालन-पोषण कर सके। जिसके बाद उन्हें स्विस कपल ने गोद ले लिया, वो उन्हें अपने साथ लेकर केरल गये, तब निकलॉस सिर्फ 15 दिन के थे।

सांसद चुने गये
पिछले सप्ताह हुए पहले भारतीय मूल के लोगों के संसद सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे निकलॉस ने बातचीत में कई ऐसी बातें बताई, Swiss MP4जो दूसरों के लिये प्रेरणादायक हो सकती है, उन्होने अपने संघर्ष के दिनों को भी याद किया, और कहा कि उनके लिया यहां तक पहुंचना आसान नहीं रहा है।

केरल में बीते शुरुआती दिन
निकलॉस ने बताया कि उनके जीवन के शुरुआती चार साल केरल के थालेस्सरी में बिते, यहां पर उनकी मां एलिजाबेथ अंग्रेजी और जर्मन पढाती थी, swiss2तो उनके पिता फ्रित्ज नट्टूर टेक्निकल ट्रेनिंग फाउंडेशन में काम करते थे, करीब चार साल के बाद उनके माता-पिता वापस स्विट्जरलैंड लौट आए।

उच्च शिक्षा के लिये माली का काम
जब उनके माता-पिता स्विटजरलैंड लौट आए, तो उन्होने अपनी उच्च शिक्षा के लिये ट्रक ड्राइवर, माली और मिस्त्री का काम भी किया, Truck Driverताकि उससे मिलने वाले पैसों से वो अपना खर्च उठा सके। निकलॉस ने बताया कि उनके माता-पिता ऐसा करने में असमर्थ थे, वो उन्हें खाने और कपड़े के अलावा कई दूसरी जरुरी चीजें भी सिखाई, ताकि उन्हें जीवन में ज्यादा परेशानी का सामना ना करना पड़े।

143 लोगों में शामिल
निकलॉस उन खास 143 लोगों में शामिल हैं, जो दुनिया के अलग-अलग 24 देशों में सांसद बने हैं, और भारतीय मूल के हैं। Swiss3पिछले सप्ताह विदेश मंत्रालय की ओर से आयोजित किये गये भारतीय मूल के सांसदों के कार्यक्रम में निकलॉस समेत 143 सांसदों ने हिस्सा लिया था, उन्होने यहां पर अपने अनुभव भी साझा किये थे।

2002 में बनें पार्षद
निकलॉस ने बताया कि पहली बार साल 2002 में वो विंटरथर शहर के पार्षद चुने गये थे, फिर नवंबर 2017 में उन्होने इवानजेलिकल पीपुल्स पार्टी के टिकट पर स्विट्जरलैंड का संसदीय चुनाव जीता, bundeshaus-वो जैसे ही स्विट्जरलैंड में सांसद बनें, इतिहास रच दिया, क्योंकि उनसे पहले कोई भारतीय वंशी यहां के संसद की सदस्यता नहीं ली थी।

अनाथालय में किया काम
पढाई के बाद गुजर-बसर के साथ-साथ निकलॉस ने सामाजिक कार्यों में भी हिस्सा लिया, उन्होने कुछ समय तक अमेरिका के कोलंबिया स्थित एक अनाथालय में भी काम किया, Childअपने उस दौर को उन्होने अपने जीवन का सबसे भावुक दौर बताया और कहा, कि वहां बिताये पल आज भी याद आते हैं।

जैविक मां की याद को रखेंगे जिंदा
निकलॉस ने अपनी सफलता के लिये अपनी जैविक मां को भी बधाई दी, उन्होने कहा कि वो अपनी मां तक पहुंचने में असफल रहे हैं, Swiss MP3लेकिन मैं अपनी मां की यादों को जिंदा रखना चाहता हूं, इसलिये मैं अपनी बच्ची का नाम अपनी मां के नाम पर अनुसूया रखूंगा, ताकि मैं बार-बार उस नाम को याद कर सकूं।