हार्दिक पटेल के अनशन के पीछे थे प्रशांत किशोर, पाटीदार नेता के आरोप से सियासी भूकंप

प्रशांत किशोर ने अपनी चुनावी रणनीति की शुरुआत गुजरात से ही की थी। उन्होने 2013 विधानसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी के लिये कैम्पेन संभाला था।

New Delhi, Oct 28 : पाटीदार अमानत आरक्षण आंदोलन समिति के नेता दिनेश बाभणिया ने जदयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर पर बड़ा आरोप लगाया है, पाटीदार नेता ने कहा कि पीके ने हार्दिक पटेल से मुलाकात की थी, उनके अनशन के पीछे भी वही थी, ताकि गुजरात में जदयू को फायदा मिले। हार्दिक के सहयोगी ने ये भी दावा किया कि अनशन के बाद उनका बंगलुरु में इलाज किया था, जिसका खर्च करीब 3.60 लाख रुपये आया था, जो पीके ने उठाया था।

जदयू ने दी सफाई
हार्दिक पटेल के सहयोगी द्वारा आरोप लगाये जाने के बाद अब इस मामले में जदयू ने सफाई दी है। जदयू प्रवक्ता सुहेली मेहता ने पाटीदार नेता द्वारा लगाये गये आरोप पर बोलते हुए कहा कि ये आरोप गलत हैं, इनका मकसद सिर्फ और सिर्फ राजनीति करना है, इसके साथ ही जदयू प्रवक्ता ने उनसे सवाल पूछते हुए कहा कि आरोप लगाने वाले इतने दिन कहां थे, इतने दिनों के बाद आरोप क्यों लगा रहे हैं।

हार्दिक पटेल ने किया था अनशन
आपको बता दें कि पाटीदारों को आरक्षण, किसानों की कर्जमाफी समेत कई मांगों को लेकर पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने 25 अगस्त से अनशन शुरु किया था। उनका अनशन 19 दिनों तक चला था, हालांकि सरकार ने ना तो उनकी मांगें मानी और ना ही उनके अनशन की तरफ ध्यान दिया, अनशन तोड़ने को लेकर पाटीदार नेता ने ट्वीट कर कहा था कि उन्हें लोगों ने समझाया कि उन्हें जिंदा रहकर अपनी लड़ाई जारी रखनी चाहिये, इसलिये वो अनशन तोड़ रहे हैं।

पीके पर सवाल
हार्दिक पटेल के सहयोगी दिनेश बाभणिया द्वारा आरोप लगाये जाने के बाद इस मामले पर सियासत होना तय माना जा रहा है। आपको बता दें कि हाल ही में चुनावी रणनीतिकार ने जदयू ज्वाइन किया है, नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी में उपाध्यक्ष का पद दिया है। पहले कहा जा रहा था कि पीके लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, लेकिन उन्होने ऐलान कर दिया है, कि वो ना तो अभी लोकसभा चुनाव लड़ेंगे और ना ही राज्यसभा जाएंगे, पहले दस साल संगठन के लिये काम करेंगे, ताकि लोगों के बीच ये मैसेज जाए, कि पीके को पद का लालसा नहीं है।

गुजरात से ही चुनावी रणनीति की शुरुआत
मालूम हो कि प्रशांत किशोर ने अपनी चुनावी रणनीति की शुरुआत गुजरात से ही की थी। उन्होने 2013 विधानसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी के लिये कैम्पेन संभाला था, उसके बाद 2014 लोकसभा चुनाव में भी मोदी ने उन्हें चुनावी कैम्पेनिंग की जिम्मेदारी संभालने को कहा, यहीं मिली सफलता ने पीके को स्टार बना दिया, इसके बाद 2015 बिहार विधान सभा चुनाव में मोदी का रथ रोक पीके ने अपनी काबिलियत और क्षमता का लोहा मनवा दिया।