भारत की अखंडता पर सवाल उठाने वाले एक पत्रकार को क्रिकेट कमेंटेटर हर्षा भोगले ने करारा जवाब दिया है । हर्षा ने देश को परिपक्व लोकतंत्र बताते हुए नागरिकों को निर्भीक भारतीय बताया ।
New Delhi, Dec 26: देश में नागरिकता संशोधन कानून का लगातार विरोध हो रहा है । देश का ही एक खास वर्ग लगातार इस कानून का विरोध कर रहा है जबकि सरकार इस पर लोगों को शांति बनाकर समझने की बात कह रही है । देश ही नहीं विरोध के सुर भारत के बाहर से भी सुनाई दे रहे हैं । देश के हालात पर चुटकी ले रहे एक ऐसे ही विदेशी पत्रकार को क्रिकेट कमेंटेटर हर्षा भोगले ने करारा जवाब देकर बोलती बंद करवा दी है । भोगले ने फेसबुक पर एक लंबी चौड़ी पोस्ट कर देश के ताजा हालातों पर अपनी राय रखी थी ।
सोशल मीडिया पर हर्षा भोगले की पोस्ट
हर्षा भोगले ने सोशल मीडिया पर लिखा था – ‘मुझे लगता है कि युवा भारत हमसे बात कर रहा है ।वो बता रहा है कि वो क्या बनना चाहता है और जो हम उसे बनने के लिए कह रहे हैं वो वैसा नहीं बनना चाहता । मेरी पीढ़ी एक ऐसे भारत में बड़ी हुई जो इंग्लैंड के शासन के बाद के असर से प्रभावित रही । मेरे माता-पिता की पीढ़ी के पास न केवल संसाधनों का अभाव था, बल्कि तब के माहौल ने उनसे उनका आत्मविश्वास तक छीन लिया था । हम खुशकिस्मत रहे, लेकिन अब भी हम नहीं जानते कि हम क्या कुछ करने में सक्षम हैं।’
विदेशी पत्रकार ने ली चुटकी
हर्षा भोगले के इस फेसबुक पोस्ट पर ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार डेनिस ने टिप्पणी की । डेनिस ने लिखा कि भारत टूट गया है । उन्होने लिखा – ‘मैं इस पोस्ट के लिए हर्षा की प्रशंसा ही कर सकता हूं । उनका भारत टूटा हुआ है । किसी और देश के नेता या सत्ता में सरकार की लगातार नाजियों से तुलना नहीं हो रही है । इस मामले पर हम सबको हर्षा बनना चाहिए । सिर्फ गौतम गंभीर को छोड़कर, जिन्होंने इस पार्टी का हिस्सा बनने का फैसला लिया।’
https://twitter.com/DennisCricket_/status/1209610682158600193
मिला करारा जवाब
हर्षा भोगले ने डेनिस की इस टिप्पणी का जवाब देने में देरी नहीं की । उन्होने ट्वीट कर लिखा – ‘नहीं डेनिस, मेरा भारत टूटा हुआ नहीं है । ये जोशीले नौजवानों से भरा हुआ है जो शानदार काम कर रहे हैं । हम पूरी तरह से काम कर रहे परिपक्व लोकतंत्र हैं । कुछ मौकों पर हम अपनी असहमति और निराशा जता सकते हैं, लेकिन हम निर्भीक भारतीय हैं । आपने तुलना करने के लिए जिस शब्द का इस्तेमाल किया है…वो कभी नहीं।’
No Dennis, my India isn't broken. It is full of vibrant young people doing amazing things too. We are a fully functional, mature democracy. We might voice our dissent, our disappointment at times but we are fiercely Indian. That word you used in comparison…..never. https://t.co/2rTmEJs4dX
— Harsha Bhogle (@bhogleharsha) December 25, 2019