बड़ी-बड़ी कंपनियों को चुनौती दे रहा एक मामूली शख्स, ऐसे करता है सबकी मदद

Panchter

कई बार राह चलते या फिर घर पर खड़ी गाड़ी पंक्चर हो जाती है, तो फिर आपको पंक्चर दुकान तक जाने की जरुरत नहीं है, क्योंकि सिर्फ एक फोन कॉल में फिरोज आपके दरवाजे पर पहुंच जाएंगे।

New Delhi, May 27 : बीते दो दशकों में भारत में 4 चक्का गाड़ियों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है, सिर्फ दिल्ली, मुंबई या बेंगलुरु ही नहीं बल्कि छोटे कस्बों और गांवों में लोग अपने दरवाजे पर कार खड़ी करने लगे हैं। बड़े शहरों में कार और मोटरसाइकिल के पंक्चर हो जाने पर उसे बनाने के लिये कई बड़ी कंपनियां बाजार में उतर आई है, जो सलाना एक तय रकम लेकर किसी भी समय गाड़ी के खराब होने पर आपकी बताई जगह पर पहुंच जाती है। हालांकि छोटे कस्बों और गांवों में इन कंपनियों की सक्रियता फिलहाल नहीं है।

नई पहल
इसी दिशा में मध्य प्रदेश के इंदौर के रहने वाले फिरोज खान ने एक नई पहल की है। उन्होने बिना किसी बड़ी लागत और जटिल बिजनेस मॉडल के चलती-फिरती पंक्चर बनाने वाली दुकान तैयार किया है। Panchter1उन्होने अपनी मोटरसाइकिल को ही पंक्चर बनाने की दुकान में बदल लिया है। दिन हो या रात इंदौर के किसी भी इलाके से आप इन्हें कॉन कर बुला सकते हैं।

घर पर सेवा
कई बार राह चलते या फिर घर पर खड़ी गाड़ी पंक्चर हो जाती है, तो फिर आपको पंक्चर दुकान तक जाने की जरुरत नहीं है, Panchter2क्योंकि सिर्फ एक फोन कॉल में फिरोज आपके दरवाजे पर पहुंच जाएंगे। फिरोज सबसे ज्यादा हाइवे यात्रियों के लिये मददगार साबित हो रहे हैं, क्योंकि फोन करने के कुछ देर बाद ही वो मौके पर पहुंच जाते हैं, और पंक्चर बना कर सफर कर रहे लोगों को रवाना कर देते हैं।

कहां से आया आइडिया ?
फिरोज खान ने बताया कि पिछले कई सालों से वो पंक्चर की दुकान चलाते थे, इसी से उनका और परिवार का गुजर-बसर होता था, Panchter3साल 2015 में उज्जैन में मेला लगा, तो वहां उन्होने देखा कि मेले में आने-जाने वाले लोग गाड़ियों के पंक्चर होने से काफी परेशान होते हैं, उसी मेले में उन्होने मोबाइल पंक्चर शॉप शुरु की। हालांकि तब वो सेवा सिर्फ उज्जैन मेले के लिये थी। लेकिन फिर धीरे-धीरे उन्होने पूरे इंदौर में अपनी सेवा देना शुरु कर दिया।

लोग करते हैं कॉल
अब फिरोज पूरे इंदौर में मोबाइल पंक्चर शॉप चलाते हैं, उन्होने बताया कि अक्सर देर रात लोग उन्हें कॉल करते हैं, Panchter4जिसमें गाड़ी पंक्चर होने की वजह से वो किसी हाइवे पर फंसे होने की शिकायत करते हैं। 100 में से 99 बार मैं उनकी मदद के लिये जाता हूं। इतना ही नहीं अपने मोबाइल पंक्चर शॉप की वजह से इंदौर पुलिस में भी वो खासे लोकप्रिय हो चुके हैं, पुलिस भी अक्सर उनकी मदद लेती है।

बेटी को पापा पर गर्व
फिरोज खान की एक बेटी है, जिनका नाम अलीना है, वो पांचवीं में पढती है। अलीना अपने पापा के काम के बारे में ज्यादा तो नहीं जानती, Panchter5लेकिन इतना समझती है कि जब कोई किसी परेशानी में फंस जाता है, तो उसके पापा उस इंसान की मदद करते हैं, इस नये काम की वजह से फिरोज को आस-पड़ोस में भी काफी इज्जत मिलने लगी है।

इतने पैसे लेते हैं
चलती-फिरती पंक्चर शॉप चलाने वाले फिरोज हर विजिट के सौ रुपये लेते हैं, फिर चाहे पंक्चर मोटर साईकिल की हो, या कार की। Panchter6दिन हो या रात, अगर फिरोज के पास मदद के लिये कॉल आती है, तो उन्हें लगता है कि कोई वाकई परेशान है, मुसीबत में फंसा है, वो जल्द से जल्द उनके पास पहुंचने की कोशिश करते हैं। जो सर्विस इंदौर में फिरोज दे रहे हैं, वहीं बड़े शहरों में बड़ी-बड़ी कंपनियां दे रही हैं, हालांकि वो फिरोज से ज्यादा पैसे वसूलती है।