केंद्रीय मंत्रियों को कैसे अलॉट किए जाते हैं बंगले? क्‍या है इन्‍हें खाली कराने की पॉलिसी?

अगर आपके मन में भी ये सवाल है कि सरकार में मंत्रियों को आवास मिलने की क्‍या प्रक्रिया है और इसे जब खाली कराना हो तब क्‍या तरीका अपनाया जाता है, तो जवा आगे पढ़ें ।

New Delhi, Apr 06: पिछले एक हफ्ते में कई पूर्व मंत्रियों के बंगले खाली कराए गए है, कुछ वर्तमान के भी आवास खाली कराए गए हैं । ये काम हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स मिनिस्‍ट्री के तहत आने वाले संपदा निदेशालय की ओर से किया गया है, निदेशालय ने कई पूर्व केंद्रीय मंत्रियों को उनके कार्यकाल के दौरान आवंटित किए बंगले खाली करवाए हैं ।

इनमें स्वर्गीय केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान को अलॉट किया गया बंगला 12 जनपथ भी शामिल है, जो उनके बेटे और जमुई से सांसद चिराग पासवान से खाली कराया गया है । इसके साथ ही बीजेपी के सांसद राम शंकर सिंह कठेरिया से 7 मोती लाल नेहरू मार्ग, पूर्व केंद्रीय मंत्री पीसी सारंगी से 10 पंडित पंत मार्ग और पूर्व शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से 27 सफदरजंग रोड को खाली कराया गया है, जो अब नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को दिया गया है।

कैसे आवंटित होता है सरकारी आवास ?
पूरे देश में भारत सरकार की सभी आवासीय संपत्तियों को संभालने और आवंटित करने का जिम्‍मा संपदा निदेशालय के पास होता है । केंद्र सरकार के बंगलों का आवंटन जनरल पूल रेजिडेंशियल एकोमोडेशन यानी जीपीआरए एक्ट के अंतर्गत किया जाता है । जीपीआरए में संपदा निदेशालय दिल्ली समेत देश के 39 जगहों पर केंद्र सरकार की आवासीय संपत्तियों का प्रबंधन करता है। केंद्र सरकार के सभी नेता और कर्मचारी इस जीपीआरए के तहत घर आवंटित करने की मांग कर सकते हैं। संपदा निदेशालय की ओर से घर का आवंटन वेतन, पद और अनुभव को देखकर दिया जाता है। इसके साथ ही लोकसभा और राज्यसभा सचिवालयों की हाउस कमेटियां भी सांसदों को बंगला अलॉट करने में अहम भूमिका निभाती हैं । संपदा निदेशालय के नियमानुसार केंद्र में मंत्रियों को भी टाइप VIII बंगला आवंटित किया जाता है । इस तरह के बंगले में सात कमरे, घरेलू सहायकों के लिए अलग से क्वार्टर बने होते हैं।

ये है खाली करने का प्रोसेस
सरकारी बंगलों को सरकारी स्थान यानी अप्राधिकृत अधिभोगियों की बेदखली अधिनियम, 1971 के तहत खाली कराया जाता है । निर्धारित समय के भीतर यदि आवास खाली नहीं होता तो आवंटन रद्द कर दिया जाता है और इसके साथ बंगला खाली कराने की कार्यवाही भी शुरू कर दी जाती है। आमतौर पर ऐसा करने से विभाग की तरफ से 30 दिन का नोटिस भी दिया जाता है।