पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढोत्तरी से केन्द्र सरकार भी परेशान है, उसने एक बार फिर से राज्य सरकारों से अपील की है कि वो वैट और सेल टैक्स में कटौती करें।
New Delhi, Jan 02 : एक बार फिर से पेट्रोल-डीजल की कीमतें आसमान छू रही है, मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में डीजल की कीमत ने एक नया रिकॉर्ड बना दिया, आपको बता दें कि इस दिन डीजल 59.79 रुपये प्रति लीटर हो गया था। जो अब तक की सबसे ज्यादा कीमत है, पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढोत्तरी से केन्द्र सरकार भी परेशान है, उसने एक बार फिर से राज्य सरकारों से अपील की है कि वो वैट और सेल टैक्स में कटौती करें, ताकि आम आदमी को बढती कीमतों से कुछ राहत मिल सके। इसके साथ ही दूसरे विकल्पों पर भी काम किया जा रहा है।
सरकार कर रही तैयारी
पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर बोलते हुए हाल ही में केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में कहा था कि पेट्रोल में 15 फीसदी मेथेनॉल मिलाया जाएगा, ऐसा करने से साल 2030 तक भारत का ईधन बिल कम हो जाएगा, इसके साथ ही उन्होने ये भी कहा था कि मेथेनॉल को बढावा देने से प्रदूषण पर भी लगाम लगाई जा सकेगी। सरकार इसकी तैयारी में जुटी है।
सस्ता होगा पेट्रोल ?
आपको बता दें कि मेथेनॉल कोयले से बनाया जा सकता है, इसकी लागत करीब 22 रुपये प्रति लीटर होती है, जबकि पेट्रोल करीब 70 रुपये प्रति लीटर है। नितिन गडकरी ने बताया कि ये मेथेनॉल मिलाने से पेट्रोल की भी लागत कम हो जाएगी। मुंबई के आस-पास कई फैक्ट्री हैं, जो पेट्रोल के लिये मेथेनॉल तैयार कर सकते हैं, अगर 15 फीसदी मेथेनॉल का इस्तेमाल किया गया, तो पेट्रोल सस्ता हो जाएगा।
गणित से समझें कितना सस्ता होगा पेट्रोल ?
दिल्ली में 1 लीटर पेट्रोल की कीमत करीब 69 रुपये प्रति लीटर है, यानी 1000 एमएल पेट्रोल की कीमत-69 रुपये, अगर इसमें 15 फीसदी एथेनॉल मिलाया गया, तो 850 एमएम पेट्रोल की कीमत 58.65 रुपये और 150 एम एम एथेनॉल की कीमत 3.30 पैसे, यानी अगर दोनों को जोड़ दिया जाए, तो 61.95 रुपये प्रति लीटर, इस हिसाब से प्रति लीटर करीब 7 रुपये का सीधा फायदा होगा।
क्या है मेथेनॉल ?
आपको बता दें कि मेथनॉल आंतरिक दहन और अन्य इंजनों के लिये वैकल्पिक ईंधन है, इसे या तो सीधे इस्तेमाल किया जाता है, या गैसोलीन के साथ भी इस्तेमाल करते हैं, कई देशों में इसे रेसिंग कार के लिये भी इस्तेमाल किया जाता है। अमेरिका में पेट्रोलियम आधारित ईधन के विकल्प के रुप में इथेनॉल ईधन को मेथनॉल ईधन की तुलना में ज्यादा पसंद किया जाता है।
इथेनॉल कम विषाक्त
सामान्य तौर पर ये माना जाता है कि इथेनॉल कम विषाक्त होता है, इसका ऊर्जा घनत्व ज्यादा होता है, हालांकि मेथनॉल ऊर्जा उत्पादन के लिहाज से कम खर्चीला होता है, ओपेक देशो में साल 1973 के तेल संकट के दौरान इसका इस्तेमाल किया गया था, ये गैसोलीन को रिप्लेस करने के लिहाज से एक बेहतर संसाधन भी है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट ?
केडिया कमोडिटी के प्रमुख ने कहा कि देश के भीतर पेट्रोल में एथेनॉल तो मिलाया जा ही रहा है, अब मेथेनॉल नया कांसेप्ट है, पेट्रोल में मेथेनॉल की मिलावट से बेशक प्रदूषण कम होगा, आपको बता दें कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में बढते प्रदूषण को लेकर दिल्ली सरकार को लताड़ लगाई थी और कहा था कि उनकी तरफ से किया जा रहा प्रयास नाकाफी है। ये प्रयास अच्छा है, कीमत के साथ-साथ पर्यावरण पर भी असर पड़ेगा।
गाड़ी के इंजन पर असर
हालांकि भले एक तरफ से पेट्रोल की कीमत कम होगी, लेकिन इससे गाड़ियों के इंजन पर असर पड़ेगा, ये जल्दी खराब भी हो सकती है, सरकार ने इस संबंध में वोल्वो से स्पेशल इंजन के लिये बात भी की है, साथ ही सरकार ने ये भी कहा है कि इससे देश के आयात पर भी असर पड़ सकता है।
क्या होंगे नुकसान ?
ऑटो एक्सपर्ट्स के अनुसार इस फैसले से गाड़ियों पर सीधा असर पड़ेगा, फैक्ट्रियों से निकलने वाली गाड़ियां मौजूदा समय में मेथेनॉल के लिहाज से सक्षम नहीं है, इसलिये सरकार को अपनी योजना पर अमलीजामा पहनाने से पहले कंपनी को गाड़ियों को अपग्रेड करने का समय देना चाहिये, नहीं तो इंजन और उसके प्रदर्शन पर बुरा असर पड़ेगा, इसके ऑटो मार्केट तबाह हो सकता है।