हैदर अली खान के पिता नवाब काजिम अली चार बार विधायक रहे हैं, उनकी दादी नूर बानो कांग्रेस की दिग्गज रही हैं । कांग्रेस ने उन्हें टिकट भी दे दिया था ।
New Delhi, Jan 24: यूपी विधानसभा चुनाव में अब महीने से भी कम का समय बचा है, राजनीतिक दलों के बीच सियासी दांव पेच जारी है । चुनावी समर में बीजेपी के गठबंधन सहयोगी अपना दल (एस) की प्रमुख और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने रामपुर जिले की स्वार विधानसभा सीट से कांग्रेस की दिग्गज नेता नूर बानो के पोते हैदर अली खान को मैदान में उतारा है । इतना ही नहीं, बीजेपी खेमे के किसी दल ने 2014 के बाद पहली बार किसी मुस्लिम प्रत्याशी को मैदान में उतारा है ।
कांग्रेस ने दिया था टिकट
खास बात ये कि कांग्रेस ने हैदर अली खान को 13 जनवरी को जारी अपनी पहली लिस्ट में पार्टी की ओर से टिकट भी दिया था, लेकिन उन्होंने पाला बदलकर अपना दल का दामन थाम लिया । अब उनका मुकाबला आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजमसे होगा । बता दें कि 36 साल के हैदर अली खान को अपना दल ने स्वार से टिकट देकर मैदान में उतारा है । हैदर अली कांग्रेस की दिग्गज नेता नूर बानो के पोते हैं और उन्होंने ब्रिटेन से पढ़ाई लिखाई की है।
अपना दल में जाने की क्या है वजह?
एसेक्स यूनिवर्सिटी से स्नातक हैदर के पिता नवाब काजिम अली और सपा सांसद आजम खान के बीच लंबे समय से खींचतान बनी हुई है । काजिम, स्वार और तत्कालीन बिलासपुर से चार बार विधायक रह चुके हैं । जबकि 2017 में काजिम ने बसपा के टिकट पर स्वार सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन सपा उम्मीदवार और आजम के बेटे अब्दुल्ला से हार गए थे । इसके बाद दिसंबर 2019 में जब अब्दुल्ला का गलत हलफनामे की वजह से विधायक पद चला गया उस समय इसके शिकायतकर्ता हैदर के पिता काजिम ही थे ।
कांग्रेस से बगावत
नवाब परिवार से संबंध रखने वाली रामपुर की पूर्व सांसद बेगम नूर बानो के पौत्र हैदर अली दूसरे उम्मीदवार हैं, जो कांग्रेस प्रत्याशी घोषित होने के बाद टिकट ठुकराकर अन्य दल के उम्मीदवार बने हैं । इससे पहले बरेली की छावनी सीट से विधानसभा की कांग्रेस प्रत्याशी घोषित सुप्रिया ऐरन ने सपा का दामन थाम लिया था । उसी लिस्ट में बेगम नूर बानो के पुत्र काजिम अली खान को रामपुर से कांग्रेस का उम्मीदवार घोषित किया गया । गौरतलब है कि पिछली बार भाजपा ने अपना दल को 11 सीटें दी थीं और 9 पर जीत मिली थी, तब पार्टी ने कोई मुस्लिम प्रत्याशी नहीं उतारा था । बहरहाल, भाजपा ने अब्दुल्ला आजम को शिकस्त देने के लिए अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव करते हुए ये टिक हैदर के नाम किया है । स्वार सीट पर लगभग 1 लाख 80 हजार मुसलमान हैं, जबकि एक लाख 20 हजार के करीब हजार के करीब हिंदू वोटर हैं । बीजेपी को उम्मीद है कि मुस्लिम कैंडिडेट के चुनाव लड़ने से हिंदू वोट के साथ कुछ मुस्लिम वोट भी उसके जरूर जुड़ जाएंगे । यही वजह हे कि इलाके में पहचान रखने वाले कैंडिडेट को अपना दल से उतारा गया है।