हर बार 100 बनाने के बाद पृथ्वी शॉ करते हैं ये काम, 4 साल की उम्र में आया था टर्निंग प्वाइंट

पृथ्वी शॉ मास्टर-ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को अपना रोल मॉडल मानते हैं, उनके पिता चाहते हैं कि उनका बेटा भी सचिन की तरह लंबे समय तक देश के लिये क्रिकेट खेले।

New Delhi, Oct 05 : टेस्ट में डेब्यू करने से पहले ही पृथ्वी शॉ की खूब चर्चा हो रही थी। उन्होने डेब्यू टेस्ट की पहली ही पारी में ये साबित कर दिया, कि आखिर उनकी इतनी चर्चा क्यों हो रही थी। वेस्टइंडीज के खिलाफ 293वें भारतीय टेस्ट क्रिकेटर बनकर उतरे पृथ्वी ने पहली ही पारी में टेस्ट शतक जड़ दिया। उन्होने जिस अंदाज में भारतीय पारी की शुरुआत की, उसे देखकर नहीं लगा, कि वो सिर्फ 18 साल के हैं और अपना पहला टेस्ट मैच खेल रहे हैं।

विराट ने दी टेस्ट कैप
राजकोट टेस्ट मैच से पहले पृथ्वी शॉ को भारतीय कप्तान विराट कोहली ने टेस्ट कैप दी। पृथ्वी 293वें नंबर के टेस्ट खिलाड़ी बन गये हैं। उनके राजकोट बेहद खास रहा है, उन्होने अपने फर्स्ट क्लास क्रिकेट की शुरुआत भी इसी शहर से की थी। अपनी कप्तानी में भारतीय अंडर-19 टीम को विश्व विजेता बनाने वाले पृथ्वी ने 18 साल 329 दिन में टेस्ट डेब्यू किया।

3 साल की उम्र में शुरु की क्रिकेट
पृथ्वी शॉ मास्टर-ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को अपना रोल मॉडल मानते हैं, उनके पिता चाहते हैं कि उनका बेटा भी सचिन की तरह लंबे समय तक देश के लिये क्रिकेट खेले। उनके पिता पंकज शॉ ने बताया कि पृथ्वी ने काफी छोटी उम्र में ही क्रिकेट खेलना शुरु कर दिया थी, जब उनकी उम्र तीन, साढे तीन साल थी, तो वो टेनिस बॉल से क्रिकेट खेलते थे, वो तब भी अच्छी बल्लेबाजी करते थे, जिसके बाद मैंने उन्हें क्रिकेट एकेडमी में डाल दिया।

चाइनीज खाना पसंद
पंकज शॉ ने बताया कि उनके बेटे को चाइनीज खाना बेहद पसंद है, जब भी वो मैच में 100 का स्कोर करते हैं, तो मैदान से ही हाथ उठाकर इशारा कर देते हैं कि आज उनका पसंदीदा खाना चाइनीज होगा। सचिन तेंदुलकर को अपनी प्रेरणा मानने वाले पृथ्वी के पसंदीदा बॉलीवुड स्टार ऋतिक रोशन हैं, वो कॉमेडी टीवी शो भी देखना पसंद करते हैं। छोटे परदे पर प्रसारित होने वाला धारावाहिक तारक मेहता का उल्टा चश्मा उन्हें बेहद पसंद है।

यहां से आया टर्निंग प्वाइंट
4 साल की उम्र में अपनी मां को खोने वाले पृथ्वी बाहरी मुंबई के विरार इलाके में पले-बढे हैं, उनके बचपन के बारे में बताते हुए उनके पिता ने कहा कि हर बच्चे की तरह वो भी शरारती थे। लेकिन 4 साल की उम्र में ही उनकी मां गुजर गई, जिसके बाद खुद-ब-खुद उनके अंदर मैच्योरिटी आती चली गई। शायद यही उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट था। उसने कभी भी मुझ से किसी भी बात को लेकर कोई जिद नहीं की और कोई सवाल किया। मैं बिहार से मुंबई रोजगार के तलाश में आया था, लेकिन बाद में मेरा पूरा समय बेटे को स्कूल ले जाना-लाना, क्रिकेट ट्रेनिंग के लिये ले जाना और टूर्नामेंट में साथ जाने में बीतने लगा। वो समय काफी मुश्किल भरा था। उन्होने बताया कि बेटे की वजह से अपना काम-धंधा तक छोड़ दिया। घर खर्च और दूसरे खर्चों के लिये लोग उनकी मदद करते थे, कई लोगों ने पृथ्वी की प्रतिभा को पहचान लिया था, उन लोगों ने उनकी मदद की।