लंबी बीमारी के बाद दिग्‍गज कांग्रेस नेता का निधन, बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह ने जताया शोक

दिग्गज कांग्रेसी नेता और उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी का गुरुवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 93 साल के थे।

New Delhi, Oct 18 : नारायण दत्‍त तिवारी नहीं रहे । 93 साल की उम्र में उनका निधन हो गया । तिवारी दिल्‍ली के साकेत अस्‍पताल में भर्ती थे, गुरुवार सुबह उन्‍होने अंतिम सांस ली । बताया जा रहा है कि पिछले महीने से ही उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही थी, उनके निधन पर बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह ने शोक जताया है । कांग्रेस समेत अन्‍य दलों के नेता भी एन डी तिवारी को याद कर श्रद्धाजलि दे रहे हैं ।

आज ही है जन्‍मदिन
संयोग की बात है कि आज से 93 साल पहले 18 अक्‍टूबर के ही दिन एन डी तिवारी का जन्‍म हुआ था । अपने जन्‍मदिन पर ही वो इस दुनिया को अलगविदा कह गए । दिल्‍ली के मैक्‍स अस्‍पताल में उन्‍होने आखिरी सांस । एन डी तिवारी कुमाऊंनी परिवार में पैदा हुए थे । उनका जन्‍म नैनीताल में हुआ था ।

अमित शाह ने दी श्रद्धांजलि
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने एनडी तिवारी के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘वरिष्ठ राजनेता नारायण दत्त तिवारी के निधन का दु:खद समाचार प्राप्त हुआ। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष किया था। उनका निधन भारतीय राजनीति के लिए एक अपूर्णीय क्षति है।’

रही लंबी राजनीतिक पारी
93 वर्षीय एनडी तिवारी उत्‍तर प्रदेश और उत्‍तराखंड के मुख्‍यमंत्री रह चुके हैं । वो आंध्र प्रदेश के गवर्नर के रूप में भी देश की सेवा कर चुके हैं । तिवारी आजादी के बाद यूपी में हुए पहले चुनाव में नैनीताल से प्रजा समाजवादी पार्टी की ओर से चुनाव मैदान में उतरे थे और  पहली बार विधायक बनकर विधानसभा में पहुंचे थे । वह 3 बार जनवरी 1976 से अप्रैल 1977, अगस्त 1984 से सितंबर 1985 और जून 1988 से दिसंबर 1988 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। 1980 में वो 7वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए और केंद्रीय मंत्री के तौर पर भी काम किया । 1985-1988 तक वह राज्यसभा के सदस्य बने।

प्रधानमंत्री पद के दावेदार
राजनीतिक जानकारों के अनुसार 1990 के दशक में उन्हें प्रधानमंत्री पद का दावेदार भी माना जा रहा था, लेकिन तब पीवी नरसिम्हा राव को यह पद मिला । उस समय वो महज 800 वोटों से लोकसभा का चुनाव हार गए थे । तिवारी ने लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी की सेवा की है । कुछ वैचारिक मतभेद के चलते उन्‍होने पार्टी से अलग राह चुन ली । एक सर्वमान्‍य नेता की छवि वाले एन डी तिवारी को सभी दल याद कर रहे हैं ।