कभी लालबत्ती कार में घूमती थी ये महिला, सब कहते थे मैडम-मैडम, अब बकरी चरा गुजारा करने को विवश

जिला पंचायत अध्यक्ष रही जूली देवी कभी लालबत्ती लगी कार में चलती थी , प्रदेश सरकार की ओर से उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त था।

New Delhi, Aug 27 : आपने अकसर बड़े-बुजुर्गो को कहावत कहते सुना होगा, कि समय बड़ा बलवान होता है, ये कब रंक को राजा बना दे और राजा को रंक बना दे, ये कोई नहीं जानता। एमपी के शिवपुरी जिले की एक आदिवासी महिला की भी कहानी कुछ ऐसी ही है। महिला कभी लालबत्ती में राज्यमंत्री का दर्जा लेकर घूमती थी, लेकिन आज उस महिला की ऐसी हालत है कि गुजारा करने के लिये बकरियां चराना पड़ रहा है।

मिट्टी के घर में रहने के लिये मजबूर
जिला पंचायत अध्यक्ष रही जूली देवी कभी लाल बत्ती लगी कार में चलती थी , प्रदेश सरकार की ओर से उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त था, बड़े-बड़े अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक मैम और मैडम कह कर संबोधित करते थे, लेकिन आज ऐसी हालत हो गई है, कि उनके पास रहने के लिये घर तक नहीं है, वो कच्ची टपरी में अपने बच्चों के साथ रहने के लिये विवश हैं।

बकरी चराने का काम करती है
आज पूर्व जिला अध्यक्ष जूली गुमनामी में जीने के लिये विवश है, वो कच्ची टपरी में रहकर अपने बच्चों का भरण-पोषण कर रही हैं, जूली इन दिनों गांव की 50 से ज्यादा बकरियों को चराने का काम करती है, उनके अनुसार उन्हें इस काम के लिये 50 रुपये प्रति बकरी प्रति महीने मिलता है, जिससे करीब दो हजार रुपये तक का इनकम हो जाता है, किसी तरह वो इसी पैसे से अपने परिवार का गुजारा कर लेती है।

ऐसे बनीं जिला अध्यक्ष
साल 2005 में पूर्व एमएलए और जिले के कद्दावर नेता राम सिंह सिंह यादव ने पहली बार जूली को जिला पंचायत का सदस्य बनाया था, इसके बाद जूली एक अन्य पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी के संपर्क में आई, जिनकी मदद से वो जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंच गई। हालांकि अब उनके पास कोई पद नहीं है, इस वजह से वो बकरी चराकर गुजारा करने के लिये विवश है।

इंदिरा आवास योजना
जूली ने बताया कि मजदूरी के लिये उसे और उसके परिवार को गुजरात समेत दूसरे प्रदेशों में भी जाना पड़ता है, गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाली पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष का कहना है कि उन्हें रहने के लिये इंदिरा आवास कुटीर की मांग की थी, जो उन्हें स्वीकृत भी कर दिया गया था, लेकिन फिर बाद में उन्हें नहीं मिली। इसी वजह से वो कच्ची टपरिया में परिवार के साथ रहने के लिये विवश है।