राजघराने से जुड़े हैं MLA राजा भैया, आज भी खाते हैं मिट्टी के चूल्‍हे पर बना खाना

MLA राजा भैया का नाम कौन नहीं जानता । अपने क्षेत्र के इस दबंग विधायक की जिंदगी से जुड़ी कुछ ऐसी बातें जानिए जो आपने अब तक ना पढ़ी हों ।

New Delhi, Nov 03 : भारत में आज भी कई इलाके ऐसे हैं जहां पूर्व में रही रियासतों के वंशज राजकुमार जैसे रहते हैं और सममान पाते हैं । इन्‍हीं में से एक हैं भदरी रियासत के राजा रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया । इनके बारे में कई ऐसी बातें हैं जो अकसर सुर्खियों में आती रहती हैं । प्रतापगढ़ के कुंडा में पैदा हुए रघुराज प्रताप इसी क्षेत्र के अब विधायक हैं । कुंडा में राजा साहब की ही सरकार चलती है, जो राजा जी कहते हैं वो पत्‍थर की लकीर ।

6 बार लगातार चखा जीत का स्‍वाद
अपने जन्‍मस्‍थान कुंडा से राजनीति में उतरने वाले ये अपने खानदान के पहले शख्‍स हैं । 2007 में राजनीतिक जीवन की शुरुआत जीत का स्‍वाद चखकर ही हुई । 2017 में हुए चुनावों में बीजेपी उम्‍मीदवार को बुरी तरह मात देकर राजा भैया छठी बार इस इलाके के विधायक बने हैं । उनके जीत का विजय रथ आगे भी थमता नजर नहीं आता ।

कट्टर हिंदू छवि वाले हैं पिता
अखिलेश सरकार में मंत्री रह चुके रघुराज प्रताप के पिता उदय प्रताप सिंह अपनी कट्टर हिंदू छवि के लिए जाने जाते हैं। इनके दादा बजरंग बहादुर सिंह हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रह चुके हैं । राजा भैया के पिता को उनके निसंतान दादा ने गोद लिया था । र घुराज प्रताप ने लखनऊ यूनिवर्सिटी से वकालत की है और यहीं से बाद में मिलिट्री साइंस और इंडियन मेडिवल हिस्ट्री में ग्रैजुएशन की डिग्री भी ली है।

मिट्टी के चूल्‍हे पर बना खाना ही पसंद है
एक इंटरव्‍यू में राजा भैया ने अपने बारे में कई बातें बताई । खाने के शौकीन रघुराज प्रताप ने बताया कि – “हम चाहे कुंडा में बनी बेंती कोठी में रहें या लखनऊ के सरकारी आवास में, हमारा खाना सिर्फ मिट्टी के चूल्हे पर पकता है। मुझे सिर्फ उसी का स्वाद पसंद है।” राजा जी को नॉनवेज का खास शौक है, इसके लिए स्‍पेशल मिट्टी के बर्तन रखे गए हैं जिन्‍हें मिट्टी के चूल्‍हे पर चढ़ाया जाता है ।

राजनीति में आने की वजह
राजा भैया के एक रिश्‍तेदार ने इनके राजनीति में आने की जा वजह बताई वो आप जरूर जानना चाहेंगे । जानकारी के मुताबिक रियासत के राजा होने के कारण लोग अकसर ही इनके पास अपनी शिकायतें लेकर आते थे । लोगों की परेशानियों के बारे में सुन-सुनकर ये उसके समाधान के बारे में सोचते थे । तब राजा भैया का लगा कि लोगों की परेशानियों का हल करना है तो राजनीति में आना जरूरी है ।

पिता नहीं चाहते थे राजनीति में आएं
राजा भैया के पिता बिलकुल नहीं चाहते थे कि उनका बेटा नेता बने । इसीलिए जब उनसे अनुमति मांगी गई तो उन्‍होने साफ मना कर दिया । लेकिन जब रघुराज प्रताप ने जिद की तो उनके पिता ने उन्‍हें अपने गुरु के पास बेंगलुरु भेज दिया । पिता के गुरु से इजाजत लेकर 1993 में रघुराज प्रताप निर्दलीय ही चुनाव मैदान में कूद गए । कुंडा की जनता ने उनका साथ दिया और रिकॉर्ड मतों से विजयी बनाया ।

घुड़सवारी के शौकीन हैं रघुराज प्रताप
6 साल की उम्र में घोड़े से दोस्‍ती करने वाले राजा भैया घुड़सवारी के शौकीन हैं । उनके पिता के समय में एक दर्जन से भी ज्‍यादा घोड़े थे । पिता चाहते थे कि बेटा भी रजवाड़ों की आन बान शान बरकरार रखते हुए घुड़सवारी सीखे । इनके घोड़ों की देखभाल करने वाले व्‍यक्ति ने बताया कि 6 साल की उम्र से राजा भैया घोड़े पर बैठना सीख गए थे । कई बार गिरे, पसलियां भी टूटीं लेकिन शौक बना रहा ।

चुनाव प्रचार से दूर ही रहते हैं पिता
राजा भैया के पिता उनके राजनेता बनने से कभी खुश नहीं हुए । ना तो वो कभी उनके चुनाव प्रचार का हिस्‍सा रहे और ना ही कभी उन्‍होने अपने बेटे को वोट दिया । यहां तक कि वो वोट देने भी नहीं जाते । बहरहाल महंगी कारों और हथियारों के शौकीन राजा जी का कुंडा में अपना एक अलग ही रुतबा है । यहां सिर्फ इनकी सरकार चलती है । पुलिस हो या प्रशासन सब इनसे खौफ खाते हैं ।

दबंग राजा भैया पर हैं कई क्रिमिनल आराप
रघुराज प्रताप पर डराने, धमकाने के अलावा हत्‍या करवाने तक के आरोप हैं । इनके बारे में कहा जाता है कि इनकी कोठी के पीछे 600 एकड़ का तालाब है जिसमें राजा जी ने घडि़याल पाले हुए हैं । वो अपने दुश्‍मनों को मारकर यहीं फेंक देते हैं । 2003 में मायावती सरकार ने भदरी में उनके पिता के महल और उनकी कोठी पर छापा मरवाया था । जानकारी के मुताबिक बेंती के तालाब की खुदाई में एक नरकंकाल भी मिला था, जिसकी पहचान इलाके के ही संतोष मिश्र के तौर पर हुई थी । आरोप है कि उसका स्कूटर राजा भैया की जीप से टकरा गया था, जिसके बाद उनके लोग उसे उठाकर ले गए और मार-मार कर उसकी हत्‍या कर दी और तालाब के पास ही दफना दिया ।