नीतीश कुमार पर अमित शाह क्यों दिखा रहे हैं इतनी मेहरबानी, इसके पीछे है चाणक्य की खास रणनीति

बिहार यूपी में लोकसभा की 120 सीटें हैं, पिछली बार बीजेपी 103 सीटें मिली थी, यूपी में सपा, बसपा और रालोद का महागठबंधन होने की उम्मीद है, अगर ये महागठबंधन हुआ, तो बीजेपी के लिये राह आसान नहीं होगी।

New Delhi, Oct 29 : 2019 लोकसभा चुनाव के लिये बिहार में बीजेपी-जदयू के बीच बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने की सहमति बन चुकी है, लंबे समय से एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर चर्चा तल रही थी, खुद नीतीश कुमार अमित शाह से लेकर पीएम मोदी तक से इस बारे में बात कर चुके थे, अब जाकर दोनों दलों के बीच सहमति बन चुकी हैं। बराबर सीटों को राजनीतिक समीक्षक नीतीश कुमार की जीत कह रहे हैं। लेकिन इसके पीछे भी बीजेपी की खास रणनीति हैं, आखिर क्यों अमित शाह ने 22 सांसद वाली पार्टी के बराबर 2 सांसद वाले पार्टी को खड़ा होने दिया।

अमित शाह क्यों हुए मेहरबान ?
2014 लोकसभा चुनाव में बिहार में बीजेपी 29 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिसमें 22 पर जीत हासिल हुई थी, लेकिन इस बार 16 या 17 सीटों पर बीजेपी क्यों मान गई, नीतीश कुमार के लिये ये बड़ी जीत है, लेकिन एक सवाल सबके मन में उठ रहे हैं, कि आखिर अमित शाह नीतीश पर इतने मेहरबान क्यों हैं ? क्या अमित शाह ने मान लिया है कि 2019 लोकसभा चुनाव बीजेपी के लिये आसान नहीं होने वाला है, इसी वजह से उन्होने सहयोगियों को महत्व देना शुरु कर दिया है। आइये आपको बताते हैं कि आखिर शाह की रणनीति क्या है।

खास रणनीति पर काम
केन्द्र में सरकार होने के साथ ही 20 प्रदेशों में बीजेपी की सरकार है, गुजरात जहां से मोदी और अमित शाह आते हैं, वहां भी सत्ता हासिल करने के लिये बीजेपी को खूब मेहनत करनी पड़ी थी। इसके बाद कर्नाटक में बीजेपी नंबर वन पार्टी बनकर आई, लेकिन सत्ता हाथ से दूर रह गया। इसलिये लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी खास रणनीति पर काम कर रही है, ताकि केन्द्र में एक बार फिर से मजबूत सरकार बने, ताकि उन्हें उनके सहयोगी भी आंख ना दिखा सके।

नीतीश पीके के भरोसे बिहार
खास रणनीति के तहत अमित शाह और मोदी चाहते हैं, कि बिहार की 40 सीटों की जिम्मेदारी नीतीश और पीके संभालें, दोनों की काबिलियत और क्षमता से शाह अवगत हैं, अमित शाह इस बार यूपी के साथ-साथ नॉर्थ ईस्ट राज्यों में अपना ध्यान लगाना चाहते हैं, इसी वजह से नीतीश और पीके उनसे अपनी बात मनवाने में सफल रहे, वैसे भी बिहार में बीजेपी ज्यादा से ज्यादा जदयू से दो या तीन सीटें ज्यादा लेती, लेकिन इन तीन सीटों की वजह से फिर शाह और मोदी को यहां भरपूर समय देना पड़ता, अब दोनों यहां की सिर्फ मानटरिंग करेंगे और सारी जिम्मेदारी सुशासन बाबू और पीके के अलावा बिहार बीजेपी के नेता संभालेंगे।

बिहार- यूपी पर नजर
बिहार यूपी में लोकसभा की 120 सीटें हैं, पिछली बार बीजेपी 103 सीटें मिली थी, यूपी में सपा, बसपा और रालोद का महागठबंधन होने की उम्मीद है, अगर ये महागठबंधन हुआ, तो बीजेपी के लिये राह आसान नहीं होगी, हालांकि शिवपाल यादव के मैदान में आ जाने से बीजेपी की राह आसान हुई है, कुछ ऐसा ही हाल बिहार में भी देखने को मिलता, अगर नीतीश को शाह नहीं मनाते, तो वो महागठबंधन में जा मिलते, और बिहार विधानसभा चुनाव की स्थिति दुबारा दिख जाती, इसी वजह से खास रणनीति के तहत शाह ने नीतीश पर मेहरबानी दिखाई है।