पिता की हालत देख टूट गया था ये खिलाड़ी, मां भी नहीं चाहती थी क्रिकेट खेले, लेकिन फिर पलटी किस्‍मत

क्रिकेटर अक्षर पटेल के जीवन में कई मुश्किलें आई, पिता की दुर्घटना-मां की दिक्‍कत के बावजूद वो आज सफल खिलाड़ी बन गए हैं । आगे जानें इनके संघर्ष की कहानी ।

New Delhi, Feb 23: गुजरात के नडियाड शहर में रहने वाले लेफ्ट आर्म स्पिनर अक्षर पटेल काफी समय बाद अपने होम ग्राउंड अहमदाबाद में खेलेंगे । भारत और इंग्लैंड के बीच 4 टेस्ट मैच की सीरीज का तीसरा और चौथा मैच गुजरात के मोटेरा स्टेडियम में खेला जाना है । भारतीय टीम के स्पिनर अक्षर पटेल की पिछले मैच में  परफॉर्मेंस बेहतरीन रहने के कारण उन्हें इस बार भी टीम में जगह दी गई है । अक्षर ने साल 2014 में वनडे मैच डेब्यू किया था, इसके 7 साल बाद उन्हें टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू करने का मौका मिला है । अपने डेब्‍यू मैच में फिरकी गेंद से उन्‍होंने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए।

पिता की हालत से टूट गए थे अक्षर
अक्षर पटेल के जीवन में एक समय ऐसा भी आया था जब वो पूरी तरह से टूट गए थे, उनके पिता का एक्सीडेंट हो गया था । जिससे मां भी परेशान रहने लगीं थीं । बावजूद इसके अक्षय ने हौंसले नहीं छोड़े, और भारतीय टीम में बेहतरीन कमबैक किया। आईपीएल में 97 मैच खेलकर अक्षर अपने ऑलराउंड स्किल्‍स के कारण क्रिकेट जगत में मशहूर हो गए हैं ।

शानदार पारी
27 साल के अक्षर पटेल ने चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम में इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में शानदार प्रदर्शन किया था । इस मैच की पहली पारी में उन्होंने 2 विकेट चटकाएं, चौथे दिन दूसरी पारी में 60 रन देकर पांच विकेट अपने नाम किए। इसके साथ ही दोनों पारियों में उन्होंने कप्तान जो रूट को आउट किया था। अक्षर अपने डेब्यू टेस्ट में पांच या उससे ज्यादा विकेट लेने वाले छठे भारतीय स्पिनर भी बन गए हैं । एक इंटव्यू के दौरान अक्षर पटेल के माता-पिता कहते हैं कि आज जब वो अपने बेटे का नाम न्यूज पेपर की हैडलाइन में देखते हैं, तो उनका सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।

खिलाड़ी नहीं इंजीनियर बनाना चाहते थे मां-बाप
अक्षर पटेल के माता पिता चाहते थे कि वो इंजीनियर बने । लेकिन अक्षर का खेल देखते हुए क्रिकेट के जानकार संजयभाई पटेल ने अक्षर के पिता को मनाया कि उनका बेटा पढ़ाई के साथ-साथ क्रिकेट में भी बहुत अच्छा है, उसे इसपर ध्यान देना चाहिए। उनकी मां प्रीति पटेल कहती हैं कि ‘वह कभी नहीं चाहती थीं कि उनका बेटा क्रिकेटर बने’, क्योंकि उन्हें डर था कि वह चोटिल न हो जाए। उन्होंने कहा कि ‘वह बहुत छोटा था, यहां तक कि उसकी दादी ने भी उसके क्रिकेट खेलने पर आपत्ति जताई थी, लेकिन अक्षर खेलने के लिए जिद्दी था। अब मुझे लगता है कि उसे रोकना नहीं, यह एक सही फैसला था।’

14 साल की उम्र से चल रही है ट्रेनिंग
अक्षर पटेल को 14 साल की उम्र से ही कोचिंग मिलनी शुरू हो गई थी । जब वह 17-18 साल के थे, तब उन्होंने बेंगलुरु में राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) में 21 दिवसीय कैम्प में हिस्सा लिया था। इसके अलावा अक्षर ने 2012 में रणजी ट्रॉफी में गुजरात के लिए डेब्यू किया । 15 जून 2014 में ढाका में बांग्लादेश के खिलाफ उन्होंने पहला वनडे मैच खेला । 17 जुलाई 2015 में उन्‍हें टी-20 में डेब्यू करने का मौका मिला ।

पिता के साथ हुआ हादसा
2 साल पहले अक्षर पटेल के पिता के साथ एक हादसा हो गया । उनके पिता राजेशभाई दोस्तों के साथ रात को टहलने निकले थे, लेकिन उनका एक्‍सीडेंट हो गया । अक्षर के पिता की खोपड़ी का बाईं ओर का हिस्सा पूरी तरह से डैमेज हो गया। उस समय को याद कर अक्षर के पिता कहते हैं कि ‘मुझे बहुत कुछ याद तो नहीं है, लेकिन मेरा बेटा उस समय सदमे में था। उन तनावपूर्ण क्षणों में अक्षर ने परिपक्वता दिखाई और उसके सपोर्ट के कारण ही में मौत को हराकर वापस आ पाया हूं।’ अक्षर के पिता को ठीक होने में 4 महीने लग गए । अक्षर ने अपने सभी संसाधनों को पिता के इलाज में लगा दिया, अपने दौरे भी कैंसिल कर दिए । जिसके कुछ समय बाद पिता के हालात भी सुधरे और अक्षर ने वापस मैदान पर कमबैक भी किया ।