महिला ने सुप्रीम कोर्ट से लगाई गुहार, डॉक्टर पति 4 सालों से जबरदस्ती करता है ये ‘काम’

सुप्रीम कोर्ट में एक महिला ने शिकायत दी है कि शादी के चार सालों के दौरान उसके पति ने अपनी यौन इच्छाओं को पूरा करने के लिये जबदस्ती अप्राकृतिक संबंध बनाये।

New Delhi, Jul 19 : आईपीसी की धारा 377 को लेकर इन दिनों पूरे देश में चर्चा हो रही है, आपको बता दें कि बीते मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने इसके प्रावधानों को क्राइम की श्रेणी से बाहर किये जाने से जुड़ी याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है। एक दिन बाद ही इससे जुड़ा मामला सामने आया है। एक महिला ने अपने पति पर सनसनीखेज आरोप लगाया है कि महिला के आरोप के बाद कोर्ट ने आरोपी पति को नोटिस जारी किया है।

क्या है महिला का आरोप ?
सुप्रीम कोर्ट में एक महिला ने शिकायत दी है कि शादी के चार सालों के दौरान उसके पति ने उसके साथ जबरदस्ती अप्राकृतिक मौखिक सेक्स किया। पीड़ित महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिव एनवी रामना और एमएम शांतनागौदर ने आरोपी पति को नोटिस जारी किया है।

महिला के वकील ने दी दलील
पीड़ित की इस याचिका से धारा 377 के प्रावधानों को अपराध ना माने जाने में उलझन होगी, पीड़िता की ओर से एडवोकेट अपर्णा भट्ट ने कोर्ट में दलील दी कि पत्नी पर मौखिक सेक्स के लिये दबाव बनाना धारा 377 के तहत अपराध है, साथ ही ये प्राकृतिक भी नहीं है। इसलिये आरोपी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।

कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने मंगलवार को धारा 377 से जुड़ीं याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान ही बेंच के सदस्य जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि supreme-courtसहमती से अगर मौखिक सेक्स या ऐनल सेक्स होता है, तो उसे अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, ना ही इसे अप्राकृतिक माना जा सकता है। लेकिन महिला की याचिका धारा 377 के प्रावधानों को अपराध ना माने जाने के मुद्दे को लेकर उलझाने का काम कर रही है।

पति मजबूर करता था
पीड़िता ने कोर्ट में बचाया कि उसकी शादी साल 2014 में हुई थी, जबकि उसकी सगाई साल 2002 में ही हो गई थी, तब वो सिर्फ 15 साल की थी। Coupleमहिला ने कहा कि उसका डॉक्टर पति अकसर अपनी यौन इच्छाओं को पूरा करने के लिये उसे मौखिक सेक्स करने के लिये मजबूर करता था। आपको बता दें कि महिला ने अपने पति के खिलाफ बलात्कार और अप्राकृतिक सेक्स करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराया था।

हाईकोर्ट ने किया था खारिज
महिला की याचिका पर गुजरात हाईकोर्ट ने मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि धारा 375 के तहत वैवाहिक बलात्कार का कोई प्रावधान नहीं है। साथ ही कोर्ट ने धारा 377 के तहत भी महिला द्वारा लगाये गये आरोपों को खारिज कर दिया था, जिसके बाद महिला ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। वो अपने लिये कोर्ट से न्याय मांग रही है।

क्या है आईपीसी धारा 377 ?
भारतीय दंड संहिता में समलैंगिकता को अपराध बताया गया है। आईपीसी की धारा 377 के अनुसार अगर कोई भी पुरुष महिला या पशु के साथ प्रकृति की व्यवस्था के खिलाफ सेक्स करता है, तो इस अपराध के लिये उसे 10 साल की सजा या आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा। साथ ही उस पर जुर्माना भी लगाया जाएगा। ये अपराध संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है और गैरजमानती है।