सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान को जमकर धोया, दुनिया के सबसे बड़े मंच से आतंकवाद पर हमला

सुषमा स्वराज ने कहा कि ये पाक की आदत हो गई है, कि वो अपने दोषों को ढंकने के लिये भारत के खिलाफ छल का आरोप लगाता है।

New Delhi, Sep 30 : विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में शनिवार को अपने संबोधन में आतंकवाद पर पाक को जमकर घेरा, इसके साथ ही सुधार की जरुरत को लेकर उन्होने यूएन को भी चेताया। भारत की विदेश मंत्री ने स्पष्ट और कड़े शब्दों में कहा कि पाकिस्तान ना सिर्फ आतंकवाद को पालता है, बल्कि उसे नकारने में भी माहिर है। उन्होने बातचीत रोकने के पाक के आरोप को झूठ बताते हुए विश्व के नेताओं से सवाल किया, कि हत्यारों को महिमामंडित करने वाले देश के साथ आतंकी रक्तपात के बीच कैसे बातचीत की जा सकती है।

पाक को धोया
विदेश मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे मा मले में आतंकवाद कहीं दूर से नहीं बल्कि सीमापार से है, हमारा पड़ोसी मुल्क आतंक फैलाने के साथ उसे छुपा भी लेता है, आतंकवाद पर पाक के चेहरे पर ना झेंप है और ना ही माथे पर शिकन । उन्होने आगे बोलते हुए कहा कि आतंकवादियों से ज्यादा मानव अधिकारों का उल्लंघन हनन करने वाला कौन हो सकता है, पाक हत्यारों का महिमामंडन करता है, उसे निर्दोषों का खून नहीं दिखता।

पाकिस्तान की आदत हो गई है
सुषमा स्वराज ने कहा कि ये पाक की आदत हो गई है, कि वो अपने दोषों को ढंकने के लिये भारत के खिलाफ छल का आरोप लगाता है। पिछले साल पाक के प्रतिनिधियों ने राइट टू रिप्लाई का इस्तेमाल करते हुए भारत के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कुछ तस्वीरें दिखाई थी, ये तस्वीरें किसी और देश की थी, इस तरह के झूठे आरोप पाकिस्तान कई बार लगा चुका है।

आतंकवाद के बीच कैसे बात करें
विदेश मंत्री ने कहा कि पाक प्रायोजित आतंकवादियों ने 2 जनवरी को पठानकोट में हमारे एयरफोर्स अड्डे पर हमला किया, कृपया मुझे बताएं कि आतंकवादी रक्तपात के बीच हम कैसे बात करें। सुषमा स्वराज ने अपने संबोधन में कहा कि जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद विश्व के लिये सबसे बड़ी चुनौती है, जहां तक भारत की बात है, तो आतंकवाद कहीं दूर देश से नहीं बल्कि पड़ोसी मुल्क से पनपा है।

मौलिक सुधार की जरुरत
सुषंमा स्वराज ने कहा कि हमें आतंकवाद की एक परिभाषा पर अब अवश्य सहमत होना होगा, या फिर बाद में इस आग से जूझना होगा। यूएन को ये स्वीकार करना चाहिये, कि उसे मौलिक सुधार की जरुरत है, सुधार सिर्फ दिखाने के लिये नहीं होना चाहिये। हमें संस्थान के दिलो-दिमाग में बदलाव करने की आवश्यकता है। जिससे समसामायिक वास्ताविकता के अनुकूल हो जाए, सुधार आज से ही शुरु होने चाहिये, क्योंकि कल बहुत देर हो सकती है।