Categories: बॉलीवुड

शीर्षासन की मुद्रा में संघ ?

2014 के चुनावों में भाजपा ने कितने मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए थे ? वास्तव में संघ, जनसंघ और भाजपा की प्राणवायु रहा है- मुस्लिम विरोध !

New Delhi, Sep 22 : राष्ट्रीय स्वयंसवेक के सरसंघचालक मोहन भागवत के भाषण में मैं तीसरे दिन नहीं जा सका, क्योंकि उसी समय मुझे एक पुस्तक विमोचन करना था लेकिन आज बड़ी सुबह कई बुजुर्ग स्वयंसेवकों के गुस्सेभरे फोन मुझे आ गए और उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मोहन भागवत ने संघ को शीर्षासन नहीं करा दिया ? क्या उन्होंने वीर सावरकर और गुरु गोलवलकर की हिंदुत्व की धारणा को सिर के बल खड़ा नहीं कर दिया ?

सावरकरजी ने अपनी पुस्तक हिंदुत्व में लिखा था कि हिंदू वही है, जिसकी पितृभूमि और पुण्यभूमि भारत है। इस हिसाब से मुसलमान, ईसाई और यहूदी हिंदू कहलाने के हकदार नहीं हैं, क्योंकि उनके पवित्र धार्मिक स्थल (पुण्यभूमि) मक्का-मदीना, येरुशलम और रोम आदि भारत के बाहर हैं। इसी प्रकार गोलवलकरजी की पुस्तक ‘बंच आॅफ थाॅट्स’ में मुसलमानों और ईसाइयों को राष्ट्रविरोधी तत्व बताया गया है। संघ की शाखाओं में मुसलमानों का प्रवेश वर्जित रहा है। 2014 के चुनावों में भाजपा ने कितने मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए थे ? वास्तव में संघ, जनसंघ और भाजपा की प्राणवायु रहा है- मुस्लिम विरोध !

जनसंघ के अध्यक्ष प्रो. बलराज मधोक ने 1965-67 में मुसलमानों के ‘भारतीयकरण’ का नारा दिया था। सर संघचालक कुप्प सी. सुदर्शनजी ने संघ-कार्य को नया आयाम दिया। वे मेरे अभिन्न मित्र थे। उन्होंने ही मेरे आग्रह पर ‘राष्ट्रीय मुस्लिम मंच’ की स्थापना की थी, जिसे आजकल इंद्रेशकुमार बखूबी संभाल रहे हैं। सुदर्शनजी ने इसके स्थापना अधिवेशन का उदघाटन का अनुरोध भी मुझसे किया था। अब मोहन भागवत इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। इसीलिए उन्होंने गोलवलकरजी के विचारों के बारे में ठीक ही कहा है कि देश और काल के हिसाब से विचार बदलते रहते हैं। ज़रा हम ध्यान दें कि सावरकरजी और गोलवलकरजी के विचारों में इतनी उग्रता क्यों थी ?वह समय मुस्लिम लीग के हिंदू-विरोधी रवैए और भारत-विभाजन के समय देश में फैले मुस्लिम-विरोधी रवैए का था।

अब 70 साल में हवा काफी बदल गई है। इन बदले हुए हालात में यदि मोहन भागवत ने हिम्मत करके नई लकीर खींची है तो देश में फैले हुए लाखों स्वयंसेवकों को उस पर गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए और उसके अनुसार आचरण भी करना चाहिए। संघ के स्वयंसेवक इस समय देश में सत्तारुढ़ हैं। यदि उन्हें सफल शासक बनाना है तो उन्हें भारतीयता को ही हिंदुत्व कहना होगा और हिंदुत्व को भारतीयता ! यह संघ को शीर्षासन करवाना नहीं, उसे संकरी पगडंडियों से उठाकर विशाल राजपथ पर चलाना है। उसे सचमुच राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ बनाना है l

(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
IBNNews Network

Recent Posts

निवेशकों को मालामाल कर रहा ये शेयर, एक साल में 21 हजार फीसदी से ज्यादा रिटर्न

कैसर कॉरपोरेशन लिमिटेड के शेयर प्राइस पैटर्न के अनुसार अगर किसी निवेशक के इस शेयर…

2 years ago

500 एनकाउंटर, 192 करोड़ की संपत्ति जब्त, योगी कार्यकाल के 100 दिन के आंकड़ें चौंकाने वाले

दूसरे कार्यकाल में यूपी पुलिस ने माफिया को चिन्हित करने की संख्या भी बढा दी,…

2 years ago

गोवा में पति संग छुट्टियां मना रही IAS टॉपर टीना डाबी, एक-एक तस्वीर पर प्यार लूटा रहे लोग

प्रदीप गवांडे राजस्थान पुरातत्व विभाग में डायरेक्टर हैं, वहीं टीना डाबी राजस्थान सरकार में संयुक्त…

2 years ago

5 जुलाई, मंगलवार का राशिफल: धैर्य से काम लें मकर राशि के जातक, बनता काम बिगड़ जाएगा

आय के नए रास्‍ते खुल रहे हैं, अवसर का लाभ उठाएं ।मित्रों और सगे- सम्बंधियों…

2 years ago

बोल्ड ड्रेस में लेट गई आश्रम की बबीता, खूब पसंद की जा रही तस्वीरें

इस तस्वीर में त्रिधा चौधरी ब्रालेस तो है, ही साथ ही बोल्ड कपड़े पहने नजर…

2 years ago

मलाइका से भी दो कदम आगे निकली अर्जुन कपूर की बहन, कैमरे के सामने उतार दिया ‘जरुरी कपड़ा’

अंशुला के इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि वो अपनी वन पीस ड्रेस…

2 years ago