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एमडी से लेकर जूनियर स्टाफ तक सीख रहे ये भाषा, देशवासियों के लिये पीएम का है ‘सबसे बड़ा सपना’

हर एक दिन के बाद शाम को जापानी भाषा सीखने के लिये इन इंजीनियरों की क्लास होती है, जिसमें मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना से जुड़े इंजीनियर एक साथ बैठते हैं।

New Delhi, Jul 31 : पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन योजना के सपने को पूरा करने के लिये इस प्रोजेक्ट में लगे इंजीनियरों को नये अनुभव से गुजरना पड़ रहा है, आपको बता दें कि ये इंजीनियर नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लि. के हैं। उन्हें भारत में बुलेट ट्रेन दौड़ाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, इसके लिये वो जापान के इंजीनियरों के साथ काम कर रहे हैं। काम जल्दी हो, साथ ही जापानी इंजीनियरों से संवाद करने के लिये भारतीय इंजीनियर जापानी भाषा सीख रहे हैं, आपको बता दें कि भारत में 2022 तक बुलेट ट्रेन दौड़ाने का लक्ष्य रखा गया है।

शाम को काम के बाद होती है क्लास
हर एक दिन के बाद शाम को जापानी भाषा सीखने के लिये इन इंजीनियरों की क्लास होती है, जिसमें मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना से जुड़े इंजीनियर एक साथ बैठते हैं, और दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली नौवीं भाषा जापानी सीखने की कोशिश करते हैं। हालांकि जापानी सीखना उतना आसान नहीं है, लेकिन भारतीय इंजीनियर इस भाषा को सीखने के लिये काफी उत्साहित हैं।

कौन-कौन हैं शामिल ?
आपको बता दें कि हेड क्वार्टर में ये भाषा सीखने वालों में कंपनी के एमडी से लेकर ऑफिस के स्टाफ तक शामिल हैं, जो लोग अहमदाबाद, सूरत, वड़ोदरा और मुंबई में है, वो वीडियो लिंक के जरिये संपर्क साधते हैं। मामले में इतनी सख्ती बरती जा रही है कि किसी को भी क्लास बंक करने की इजाजत नहीं है।

टेक्सट बुक से सीख रहे भाषा
मालूम हो कि भारतीय इंजीनियर जापान की ऑफिशियल टेक्सट बुक से भाषा सीखथ रहे हैं, जो किताबें पढाई जा रही है, उनमें मारुगोटो मुख्य पुस्तक है, इसमें जापानी भाषा और संस्कृत के बारे में बताया गया है, ये किताब जापान फाउंडेशन ने तैयार किया है। इसमें जापानी भाषा की गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखा गया है। ये कोर्स बुक में ज्यादा जोर जापानी बोलने और इसे समझने के साथ-साथ संस्कृति के प्रति सम्मान प्रकट करने पर है।

जापान जाने का अवसर
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार भारत में सिर्फ हाई स्पीड ट्रेन का हार्डवेयर सिस्टम ही नहीं बल्कि उस देश की संस्कृति को भी विकसित करने की कोशिश की जा रही है, इसी वजह से सभी को उस देश की भाषा सीखनी ही सीखनी है, भारतीय इंजीनियरों के लिये फेल होने का कोई विकल्प नहीं है, जो इस भाषा को नहीं सीख पाए, उसे जापान जाने का अवसर नहीं मिलेगा।

अक्टूबर में जापान जाएंगे भारतीय इंजीनियर
NHSRCL के एमडी अचल खरे ने बताया कि इस भाषा को सीखने के दो लेवल हैं, लेवल वन और लेवल टू, जिसमें लेवल टू थोड़ा कठिन है, साथ ही आपस में बातचीत के लिये जापानी भाषा की ताकीद की गई है। आपको बता दें कि भारतीय इंजीनियरों को इस साल अक्टूबर से बारी-बारी से जापान ट्रेनिंग के लिये भेजा जाएगा। बुलेट ट्रेन परियोजना से करीब तीन हजार भारतीय इंजीनियर और टेक्निशियन जुड़ेंगे, जिन पर ट्रेन दौड़ाने से लेकर उसके रख-रखाव की जिम्मेदारी होगी।

IBNNews Network

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