New Delhi, Aug 02 : देश के सबसे बड़े पैरा मिलिट्री फोर्स सीआरपीएफ के जवानों को उनके पसंद का खाना नहीं परोसा जा रहा है, पहले सुबह नाश्ते में छोले-भटूरे, तो कभी हलवा और डोसा, उत्पम मिलता था, डिनर में मटर-पनीर, खीर और सेवई परोसी जाती थी, रोजाना मेन्यू में कुछ ना कुछ अलग होता था, लेकिन अब सबकुछ बंद कर दिया गया है। 45 साल की उम्र पार चुके कर्मियों के लिये अब सातों दिन डिनर एक जैसा ही होता है, बदलती है, तो बस सब्जियां।
पहले जैसा नहीं होता खाना
दूर-दराज के इलाके, जंगल और पहाड़ पर तैनात सीआरपीएफ के जवानों के लिये लजीज भोजन ना सिर्फ पेट भरने का साधन होते हैं,
नाश्ते में नमकीन-मीठा सब मिलता था
अर्धसैनिक बल के सूत्र का दावा है कि भोजन की नई व्यवस्था कुछ दिन पहले ही लागू की गई है, पहले जो मेन्यू था, उसके अनुसार जवानों को लजीज नाश्ता दिया जाता था,
अब क्या मिल रहा है ?
नये मेन्यू के अनुसार अब जवानों को खासतौर से जिनकी उम्र 45 साल से ज्यादा हो चुकी है, उन्हें नाश्ते में भिगोया हुई चना दिया जा रहा है।
मनपसंद खाने का ऑर्डर नहीं
सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर तक सीआरपीएफ हेडक्वार्टर द्वारा जारी आदेशों के अनुसार ही खाना मिलेगा।
गजटेड अधिकारी हैं ज्यादा मोटे
सीआरपीएफ के जवानों का कहना है कि नई व्यवस्था सभी के लिये नहीं है, इसमें राजपत्रित अधिकारियों को शामिल नहीं किया गया है,
बीमारी से हो रही अधिक मौतें
गृह राज्यमंत्री हंसराम अहीर ने पिछले साल लोकसभा में एक सवाल के जबाव में कहा था कि सीआरपीएफ में आतंकी या नक्सली हमले की तुलना में कई गुना ज्यादा कर्मचारी बीमारियों की वजह से मर रहे हैं, पिछले दो साल के आंकड़े को देखें,
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