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इस ‘लेडी सिंघम’ ने आसाराम केस में निभाई थी अहम भूमिका, धमकियां मिलती रही, ना डरी ना डिगी

डीएसपी चंचल मिश्रा आसाराम केस की जांच अधिकारी रही हैं, इस महिला अधिकारी ने पीड़ित लड़की को न्याय दिलाने के लिये अपनी पूरी ताकत लगा दी।

New Delhi, Apr 26 : आसाराम को जोधपुर कोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। आपको बता दें कि डीएसपी चंचल मिश्रा आसाराम केस की जांच अधिकारी रही हैं, इस महिला अधिकारी ने पीड़ित लड़की को न्याय दिलाने के लिये अपनी पूरी ताकत लगा दी। केस में फैसला आने के बाद महिला पुलिस अधिकारी ने एक लीडिंग वेबसाइट से बात की है, और केस के बारे में काफी कुछ बताया।

केस की पहली जांच अधिकारी
चंचल मिश्रा आसाराम के इस केस की पहली जांच अधिकारी थी, उन्होने बताया कि 6 नवंबर 2013 को चार्जशीट फाइल कर दी थी, इसके बाद जिरह का दौर शुरु हुआ। बचाव पक्ष 55 अलग-अलग आवेदन लगाकर किसी तरह से पेशी टलवा देते थे, आखिर एक दिन तत्कालीन जज भगवानदास ने उनसे कहा भी, कि अब उन्हें और परेशान नहीं होने दिया जाएगा, फिर 9 जुलाई 2015 से 11 जुलाई 2016 के बीच 85 दिन तक जिरह चली।

छुट्टी नहीं ले पा रही थीं
जांच अधिकारी ने बताया कि कई बार लगातार 5 दिन कोर्ट में ट्रायल होती, दो दिन छुट्टी होती, तो भीलवाड़ा और केकड़ी के पोस्टिंग का काम देखती। सोमवार सुबह फिर जोधपुर जाना पड़ता। उस दौरान महीनों तक छुट्टी ना ले पाई और घर भी नहीं जा सकी। बचाव पक्ष की ओर से लगातार सवाल पूछे जाते, वो हमें गुमराह करने की कोशिश कर रहे थे, उनका एक ही मोटिव था कि बयानों में विरोधाभास आ जाए, लेकिन पुलिस अधिकारी हूं और ठान लिया था कि अपना फर्ज पूरा करूंगी।

अपराधी को सजा दिलाना फर्ज
महिला पुलिस अधिकारी ने कहा कि बेटी को न्याय मिला है, ये केस निश्चित रुप से पुलिस और न्याय प्रणाली में लोगों का विश्वास मजबूत करने वाला है। मैं पहले एक पुलिस अधिकारी हूं, हर अपराधी को सजा दिलाना मेरा फर्ज है, यदि किसी के साथ भी गलत हुआ है, अगर वो स्वयं गुनहगार को सजा दिलाने की ठान ले, तो फिर न्याय में उसे कोई बाधा नहीं होगी।

इसी बात की मिलती है ट्रेनिंग
डीएसपी भीलवाड़ा चंचल मिश्रा ने कहा कि पुलिस में तो धमकियों से डरने का सवाल ही नहीं है, हमें ट्रेनिंग ही इसी बात की दी जाती है, कि अपनी पूरी क्षमता और ईमानदारी से पीड़ित को न्याय दिलाने में मदद करें। हमने इस बेटी के साथ भी वैसा ही किया, हम पूरी ताकत से इस बेटी के न्याय दिलाने के लिये उनके पीछे खड़े रहे।

सजा होते ही मां बोली, शाबाश
दोपहर करीब ढाई बजे चंचल मिश्रा अपने ऑफिस से लंच के लिये बाहर निकली थीं, अभी वो अपनी गाड़ी के पास पहुंची ही थी, कि उनका फोन बज उठा, लौटकर उन्होने टीवी ऑन किया, तो पता चला कि आसाराम को आजीवन कारावास की सजा हुई है, ये खबर देखते ही उनका चेहरा खुशी से चमक उठा, फिर मोबाइल पर बधाइयां आने लगी। उनकी मां ने उन्हें फोन कर शाबाशी दी।

खुशी से निकल आये आंसू
चंचल मिश्रा के साथ स्टाफ भी टीवी पर टकटकी लगाये रहे, वो जब भी जोधपुर जातीं, गनमैन कंवरलाल मीणा साये की तरह उनके साथ रहते। कोर्ट के फैसले के बाद उनकी भी आंखें भर आई। आसाराम को सजा के बाद पीड़िता का परिवार ही नहीं बल्कि जोधपुर की इस पुलिस टीम ने भी खुशी मनाई, उन्हें ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें न्याय मिला हो।

IBNNews Network

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