New Delhi, Dec 20 : गुलफाम अहमद जन्म के साथ ही पोलियो के शिकार थे, उनके घर वालों को लगा कि दिल्ली में उनका सही इलाज हो जाएगा, इसलिये वो यूपी के बिजनौर से दिल्ली आ गये, लेकिन वक्त के बारे में कौन जानता है, कुछ समय बाद उनके परिजनों को एहसास हुई कि गुलफाम की सारी उम्र इसी परेशानी के साथ गुजारना पड़ेगा, हालांकि एक गेट के टूटे हुए हिस्से ने गुलफाम की जिंदगी बदल दी, इस गेट के एक टूटे हुए हिस्से से वो देख नहीं पा रहे थे कि कैसे स्कूल बच्चे अंदर खेल रहे हैं, एक दिन स्कूल के प्रिसिंपल ने उन्हें ऐसा करते देख लिया, उन्होने उनका एडमिशन ले लिया, इतना ही नहीं उनकी सारी फीस भी माफ कर दी।
चुनौतियों से भरी जिंदगी
गुलफाम की जिंदगी में कई चुनौतियां थी, जिसे उन्होने पार किया, लेकिन अभी बहुत कुछ बाकी है, 2008 में गुलफाम को पैरा स्पोर्ट्स के बारे में पता चला,
और मिल गया जीने का मकसद
इसके बाद उन्होने कुछ और मेडल्स भी जीते, जिससे उन्हें जीने का मकसद मिल गया, 2013 में डॉक्टर्स ने उनका पॉश्चर सही करने के लिये सर्जरी कराने की सलाह दी, उन्होने कहा पहली बार मैं क्रच और कैलिपर की मदद से चल पा रहा था,
कार्यक्रम शुरु
हालांकि 2017 के बाद से मिस्टर और मिस व्हीलचेयर का आयोजन नहीं हो पा रहा है, क्योंकि इसके आयोजक रहे सौनक बनर्जी का निधन हो गया, अब कुछ सालों बाद 30 वर्षीय गुलफाम इसी कार्यक्रम को नये तरीके से लेकर आये हैं,
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