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एफआईआर को लेकर ये हैं आपके अधिकार, अगर इन नियमों को जानेंगे, तो नहीं खाएंगे धोखा

अगर आपका कोई सामान चोरी हो गया है, तो एफआईआर दर्ज की जाएगी, लेकिन अगर खो गया है, तो एनसीआर दर्ज किया जाएगा।

New Delhi, Jul 17 : पुलिस के पास अपनी लिखित शिकायत दर्ज कराने के लिये हम अकसर एफआईआर यानी फर्स्ट इंफॉरमेशन रिपोर्ट के बारे में सुनते हैं, हिंदी में एफआईआर को प्राथमिकी रिपोर्ट कहा जाता है। अपराध के लिये पुलिस के पास कार्रवाई करने के लिये जो सूचना हम दर्ज करवाते हैं, इसे प्रथम सूचना रिपोर्ट (फर्स्ट इंफॉरमेशन रिपोर्ट) या प्राथमिकी कहते हैं। आइये आपको इसके बारे में बताते हैं।

वारंट के बिना गिरफ्तारी
एफआईआर में पुलिस आरोपी को वारंट के बिना गिरफ्तार कर सकती है, ये केवल संगीन अपराध जैसे हत्या, बलात्कार, चोरी, जानलेवा हमला इत्यादि में दर्ज की जाती है, जबकि असंज्ञेय अपराध में पुलिस के पास किसी को वारंट के बिना गिरफ्तार करने का कोई अधिकार नहीं होता है। ऐसे केस को पहले ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के पास भेजना होता है, ऐसे ही मामलों में एनसीआर यानी नॉन कॉग्निजेबल रिपोर्ट दर्ज की जाती है। अगर आपका कोई सामान चोरी हो गया है, तो एफआईआर दर्ज की जाएगी, लेकिन अगर खो गया है, तो एनसीआर दर्ज किया जाएगा।

सजा दिलाने के लिया कार्रवाई
मामले में एफआईआर के बाद दोषी को सजा दिलाने के लिये पुलिस कार्रवाई शुरु करती है। अगर आपकी कोई चीज चोरी होती है, तो उसका दुरुपयोग होने का खतरा रहता है, ऐसे में आप उस अपराध में फंस सकते हैं, जो आपने किया ही नहीं, ऐसी स्थिति से बचने के लिये एफआईआर जरुर दर्ज करानी चाहिये। घटना के तुरंत बाद मामले की रिपोर्ट दर्ज कराएं, क्योंकि देर होने से फिर स्पष्ट कारण भी बताना पड़ता है।

एफआईआर कहां दर्ज करवाएं
हमेशा एफआईआर घटनास्थल के नजदीकी या फिर जिस क्षेत्र में वो इलाका आता हो, वहां दर्ज करवानी चाहिये, आपातकाल की स्थिति में किसी भी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई जा सकती है। जिसे फिर बाद में संबंधित थाने में ट्रांसफर किया जा सकता है, एफआईआर दर्ज करवाने के लिये पीड़ित को खुद जाने की आवश्यकता भी नहीं है, इसके लिये घटना का चश्मदीद या कोई रिश्तेदार भी करा सकता है, या फिर आप फोन कॉल या ई-मेल के जरिये भी प्राथमिकी दर्ज करवा सकते हैं।

एफआईआर कॉपी जरुर लें
शिकायत दर्ज करवाने के बाद इसकी मुफ्त में कॉपी जरुर लेनी चाहिये। क्योंकि इसमें लिखा क्राइम नंबर बाद में भी काम आ सकता है। एफआईआर की कॉपी पर थाने की मुहर और पुलिस अधीक्षक के हस्ताक्षर जरुर चेक कर लें। इसके बाद पुलिस मामले की जांच करती है, अगर पुलिस को लगता है कि केस में कोई सबूत नहीं है, तो इसे बंद कर दिया जा सकता है। लेकिन केस बंद करने पर इसकी सूचना शिकायतकर्ता को देनी होती है, अगर सबूत है, तो मामले में चार्जशीट दाखिल कर कोर्ट में ट्रायल शुरु किया जाता है।

जीरो एफआईआर
सामान्य तौर पर एफआईआर उसी थाने में दर्ज करवानी चाहिये, जिस इलाके में आपके साथ घटना हुई, लेकिन अगर किसी कारणवश आपात स्थिति में किसी बाहरी थाने में आप शिकायत दर्ज करवाना चाहते हैं, तो करवा सकते हैं, फिर संबंधित थाने में इस केस को ट्रांसफर कर दिया जाएगा, इसे जीरो एफआईआर कहा जाता है।

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