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बिन बारिश के आया भूस्खलन, मची भारी तबाही, भगवान की शरण में लोग

बिना बारिश के ही भारत के इन गावों में भूस्खलन आया, तो तबाही मच गई। आलम ये है कि लोग भगवान की शरण में जाने को मजबूर हैं। आइए आप भी जानिए

New Delhi, Mar 12: आम तौर पर जब भूस्खलन आता है तो, इसके पीछे खास वजह बारिश बताई जाती है। लेकिन यहां तो बिना बारिश के ही भूस्खलन आ गया। इस भूस्खलन से तबाही तो मची ही, साथ ही लोग भगवान की शरण में चले गए। चमोली में मची इस तबाही के बाद से वहां रेस्क्यू ऑपरेशन भी शुरू कर दिया गया है। आइए इस बारे में आपको बता देते हैं।

बड़ा भूस्खलन, भारी तबाही
चमोली के देवाल विकासखंड के आखिरी गांव झलियां और कुंवारी में बेमौसम भूस्खलन से स्थानीय लोग दहशत में हैं। गांवों के ऊपर की पहाड़ी से लगातार भूस्खलन हुआ। इससे दो मकान मलबे में ही दब गए हैं। इसके अलावा बाकी 10 घरों में मलबा गया है। भागाबूगा के पहाड़ के टूटने से बड़े बड़े बोल्डर गांवों की तरफ गिरने लगे थे।

पहाड़ टूटने से दहशत में लोग
झलियां गांव के प्रधान भाग चंद्र सिंह दानू का कहना है कि भागाबूगा के पहाड़ से अचानक चट्टान भरभरा कर टूटने लगी थी। जैसे ही लोगों ने गांव की तरफ पत्थर गिरते देखे तो अफरा तफरी मच गई। मलबे की वजह से दो मकान दब गए। रात में गांव के लोग अपने पालतू पशुओं के साथ किसी तरह से सुरक्षित ठिकानों पर गए। इसके बाद भी कई पशुओं को भयंकर चोट आई हैं।

दो गांवों पर टूटा मुश्किलों का पहाड़
गांव वालों को खेत में मलबे से पट गए है और फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं। कुवांरी गांव में पहाड़ी से विशाल चट्टानें और पेड़ उखड़कर खाई में समा गए। झलिया गांव भी भूस्खलन की चपेट में आ गया। बताया जा रहा है कि 20 से ज्यादा परिवारों ने छानियों में शरण ली है। तहसील प्रशासन ने एसडीआरएफ की एक टीम को कुंवारी गांव भेजा है। पूरा गांव रात भर दहशत में रहा।

गिरते मलबे से दहशत में लोग
पहाड़ से लगातार मलबा गिर रहा था तो लोग गांव छोड़कर एक मंदिर में भगवान की शरण में चले गए। मलबा गिरने से झलियां और कुवांरी दोनों ही गांवों को भारी नुकसान हुआ है। बताया जा रहा है कि गांव के लोग अब विस्थापन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। नायब तहसीलदार थराली को मौके पर जाने के निर्देश दिए गए हैं। जिस क्षेत्र में भूस्खलन हुआ है वहां से पहले ही परिवारों को गांव के दूसरे सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया है।

अतिसंवेदनशील गांवों की लिस्ट
आपको बता दें कि चमोली जिले का कुंवारी गांव अतिसंवेदनशील गांवों की लिस्ट में शामिल है। इस गांव में करीब 64 परिवार रहते हैं। एक दशक पहले से इस गांव में भूस्खलन हो रहा है। कुंवारी गांव उत्तराखंड राज्य में पूरी तरह से विस्थापित होने वाला पहला गांव है। बताया जा रहा है कि एक-दो दिन के भीतर भू वैज्ञानिकों के साथ क्षेत्र में जाकर जांच की जाएगी।

कई मकानों पर आईं दरारें
शनिवार रात को करीब 10 बजे पहाड़ी से बड़ी मात्रा में मलबा गिरा। ये मलबा गांव के ही रहने वाले बलवंत सिंह और खीम सिंह के घरों में घुस गया। इन दोनों घरों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है। भूस्खलन से कई मकानों में दरारें भी हैं। बताया जा रहा है कि ये गांव सड़क से 20 किमी पैदल होने की वजह से वास्तविक स्थिति का पता नहीं चल पा रहा है।

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