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पिता-पुत्र मिलकर कचड़े से कमा रहे हैं करोड़ों रुपये, देश के हर शहर में हैं ऐसे स्टार्टअप की जरुरत

इस पिता-पुत्र की जोड़ी ने बताया कि उनका मकसद है कि शहर को प्लास्टिक से दूर रखा जाए, ताकि हमारा पर्यावरण कम प्रदूषित हो।

New Delhi, Mar 25 : प्लास्टिक पर्यावरण का सबसे बड़ा दुश्मन बनता जा रहा है, ये ईको-सिस्टम के लिये भी बड़ा खतरा है। ये ना केवल पेड़ पौधों और वन्यजीवों को प्रभावित करता है, बल्कि इसका असर इंसानी जिंदगी पर भी पड़ता है। इसी वजह से कई जगहों पर प्लास्टिक के बैग्स और दूसरी चीजों के इस्तेमाल कर बैन लगा दिया गया है। पहाड़ी इलाकों में तो ये बड़ी समस्या बनता जा रहा है। जहां पर पर्यटक अक्सर अपने साथ प्लास्टिक के पैकेट्स ले जाते हैं, फिर उन्हें वहीं छोड़ देते हैं।

कचरे से बना रहे करोड़ो रुपये
प्लास्टिक का निस्तारण एक बड़ी समस्या है, इसे मणिपुर के एक इंजीनियर ने भी समझा, उन्होने पूरे मनोयोग से अपने पिता के साथ मिलकर उसकी रिसाइकलिंग करने लगा। मणिपुर की राजधानी इम्फाल में सादोकपम इतोम्बी सिंह अपने पिता सादोकपम गुनाकांता के साथ मिलकर कचरे से करोड़ों रुपये कमा रहे हैं।

प्लास्टिक रिसाइकलिंग का काम
मणिपुर गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक से कंप्यूटर एप्लीकेशन में ग्रेजुएट इतोम्बी सिंह अपने जिले के लोगों को रहने के लिये एक बेहतर जगह बनाना चाहते थे, वो चाहते थे कि उनके जिले में प्रदूषण ना हो। उन्होने साल 2007 में एस जे प्लास्टिक इंडस्ट्रीज से की स्थापना की थी, तब से ही पिता-पुत्र पूरे इलाके में प्लास्टिक की रिसाइकलिंग के काम में जुटे हुए हैं।

ऐसे बनाया करोड़ों का बिजनेस
साल 1990 के दशक में गुनाकांत अपने बेटे की मदद से छोटा सा एंटरप्राइज चलाते थे। वो प्लास्टिक की बोतलें एकत्रित करके दिल्ली और गुवाहाटी भेजा करते थे। जहां पर प्लास्टिक रिसाइकिल का प्लांट था, हालांकि साल 2010 में उन्होने खुद ही नई मशीनें खरीद ली और उनकी मदद से रिसाइकलिंग का काम करना शुरु कर दिया।

सलाना टर्नओवर
गुनाकांता ने बताया कि प्लास्टिक की रिसाइकलिंग किया जा सकता है, हमें इसे लेकर लोगों को जागरुक बनाने की आवश्यकता है, इस समय प्लास्टिक रिसाइकलिंग से जुड़े उनके प्लांट में 35 रेगुलर स्टाफ काम करते हैं, जबकि 6 दिहाड़ी मजदूरों को भी उन्होने काम दिया हुआ है। गुनाकांता ने बताया इस कंपनी की शुरुआत उन्होने 1.5 लाख से की थी। जबकि आज उनकी कंपनी का टर्नओवर 1.2 करोड़ रुपये सलाना है।

मकसद है शहर को प्लास्टिक से बचाना
इस पिता-पुत्र की जोड़ी ने बताया कि उनका मकसद है कि शहर को प्लास्टिक से दूर रखा जाए, ताकि हमारा पर्यावरण कम प्रदूषित हो। इसके लिये हम लगातार तीन दशक से काम कर रहे हैं, जब हमने इस काम को शुरु किया था, तो बस हम पिता-पुत्र ही थे, लेकिन आज हमारे साथ करीब तीन दर्जन से ज्यादा लोग हैं।

IBNNews Network

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