New Delhi, Mar 25 : प्लास्टिक पर्यावरण का सबसे बड़ा दुश्मन बनता जा रहा है, ये ईको-सिस्टम के लिये भी बड़ा खतरा है। ये ना केवल पेड़ पौधों और वन्यजीवों को प्रभावित करता है, बल्कि इसका असर इंसानी जिंदगी पर भी पड़ता है। इसी वजह से कई जगहों पर प्लास्टिक के बैग्स और दूसरी चीजों के इस्तेमाल कर बैन लगा दिया गया है। पहाड़ी इलाकों में तो ये बड़ी समस्या बनता जा रहा है। जहां पर पर्यटक अक्सर अपने साथ प्लास्टिक के पैकेट्स ले जाते हैं, फिर उन्हें वहीं छोड़ देते हैं।
कचरे से बना रहे करोड़ो रुपये
प्लास्टिक का निस्तारण एक बड़ी समस्या है, इसे मणिपुर के एक इंजीनियर ने भी समझा, उन्होने पूरे मनोयोग से अपने पिता के साथ मिलकर उसकी रिसाइकलिंग करने लगा।
प्लास्टिक रिसाइकलिंग का काम
मणिपुर गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक से कंप्यूटर एप्लीकेशन में ग्रेजुएट इतोम्बी सिंह अपने जिले के लोगों को रहने के लिये एक बेहतर जगह बनाना चाहते थे,
ऐसे बनाया करोड़ों का बिजनेस
साल 1990 के दशक में गुनाकांत अपने बेटे की मदद से छोटा सा एंटरप्राइज चलाते थे। वो प्लास्टिक की बोतलें एकत्रित करके दिल्ली और गुवाहाटी भेजा करते थे।
सलाना टर्नओवर
गुनाकांता ने बताया कि प्लास्टिक की रिसाइकलिंग किया जा सकता है, हमें इसे लेकर लोगों को जागरुक बनाने की आवश्यकता है,
मकसद है शहर को प्लास्टिक से बचाना
इस पिता-पुत्र की जोड़ी ने बताया कि उनका मकसद है कि शहर को प्लास्टिक से दूर रखा जाए, ताकि हमारा पर्यावरण कम प्रदूषित हो।
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