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देसी गाय के गोबर से तैयार होता हैं घर, बिना बिजली देता है एसी वाला मजा

दिल्ली के द्वारका के पास छावला इलाके में रहने वाले डेयरी संचालक दया किशन शौकीन ने करीब दो साल पहले गाय के गोबर से बने प्लास्टर से घर बनवाया था।

New Delhi, May 23 : अगर आप भी कम लागत में ऐसा घर बनवाना चाहते हैं, जो वातानूकूलित हो, तो आप डॉ. शिवदर्शन मलिक से मिलें। उन्होने गाय के गोबर से एक ऐसा प्लास्टर तैयार किया है, जिससे घर बनाने से गांव के कच्चे घरों जैसा सुकून मिलेगा। दिल्ली के द्वारका के पास छावला इलाके में रहने वाले डेयरी संचालक दया किशन शौकीन ने करीब दो साल पहले गाय के गोबर से बने प्लास्टर से घर बनवाया था। उन्होने बताया कि इस तरह के घरों में गर्मियों में भी एसी लगाने की जरुरत नहीं पड़ती है, अगर बाहर का तापमान 40 डिग्री है, तो इसके अंदर 28 से 31 डिग्री ही रहता है। जबकि सीमेंट से ये काफी सस्ता भी पड़ता है।

इस मकान के हैं कई फायदे
उन्होने आगे बताते हुए कहा कि गाय गोबर से बने मकान के जितने फायदे बताये जाए, कम ही है, ऐसे मकानों के बने फर्श से गर्मियों में नंगे पैर घर में ही टहलने से पैरों को ठंडक मिलती है, जिसकी वजह से आप कई बीमारियों से दूर रहते हैं। इसके साथ ही बिजली की भी बचत होती है, शहरों में गांव जैसी कच्ची मिट्टी के पुराने घर इस गाय के प्लास्टर से बनना संभव है।

कच्चे मकान व्यवहारिक नहीं
किशन शौकीन ने बताया कि जलवायु परिवर्तन का असर हमारे घरों में भी पड़ता है, पहले मिट्टी के बने कच्चे घरों में ऊष्मा को को रोकने की क्षमता थी, ये कच्चे मकान सर्दी और गर्मी से बचाव किया करते थे। लेकिन बदलते दौर में अब कच्चे मकान व्यवहारिक नहीं हैं, पक्के मकानों को कैसे कच्चा बनाया जाए, ताकि उसमें ऊष्मा रोकने की भी क्षमता हो।

वैदिक प्लास्टर
हरियाणा के रोहतक में रहने वाले डॉ. शिवदर्शन मलिक ने लंबे समय तक गाय के गोबर पर शोध किया है, उन्होने गाय के गोबर से वैदिक प्लास्टर बनाया है, जो सस्ता होने के साथ ही घर को गर्मी में ठंडा और ठंड में गर्म रखता है। शिवदर्शन मलिके ने केमिस्ट्री से पीएचडी करने के बाद आईआईटी दिल्ली और वर्ल्ड बैंक जैसी कई नामी और बड़ी संस्थाओं में बतौर सलाहकार कई वर्षो तक काम किया है।

बीमारियों से बचाव
शिवदर्शन मलिक ने कहा कि हमें नेचर के साथ रहकर ही नेचर को बचाना है, जब से हमारे घरों में गोबर की लिपाई का काम बंद हुआ, तब से बीमारियां बढनी शुरु हो गई। देसी गाय के गोबर में रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता होती है, जो हवा को भी शुद्ध करने का काम करती है। इसीलिये वैदिक प्लास्टर में देसी गाय के गोबर का इस्तेमाल किया जाता है।

ऐसे होता है तैयार
उन्होने आगे बोलते हुए कहा कि हमारे देश में रोजाना लगभग तीस लाख टन गोबर निकलता है, जिसका सही ढंग से इस्तेमाल नहीं किया जाता है। देसी गाय के गोबर में जिप्सम, ग्वारगम, चिकनी मिट्टी, नींबू पाउडर मिलाकर इसका प्लास्टर तैयार किया जाता है, ये अग्निशमन और ऊष्मा रोधी होता है। इससे सस्ते और इको फ्रेंडली मकान होते हैं। हिमाचल से लेकर कर्नाटक तक और गुजरात से लेकर पश्चिम बंगाल तक वैदिक प्लास्टर से करीब तीन सौ से ज्यादा मकान बन चुके हैं।

घर प्रदूषण मुक्त
इस तरह के प्लास्टर से तैयार मकानों में नमी हमेशा के लिये खत्म हो जाएगी, जिससे सीलन की झंझट नहीं रहती है। इसके साथ ही घर प्रदूषण से मुक्त रहता है। सीमेंट से तैयार घर की तुलना में इसका खर्च सात से आठ गुणा तक कम आता है, ये मकान हमारे सेहत के लिहाज से उपयोगी होते हैं, मकान से हानिकारक कीटाणु और जीवाणु भाग जाते हैं।

IBNNews Network

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