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कभी भूखे पेट टेंट में सोया, पानी पुरी बेची, अब पहनेगा टीम इंडिया की जर्सी

अंडर-19 टीम इंडिया में चयन होने के बाद यशस्वी से परफॉरमेंस के प्रेशर के बारे में पूछा गया, तो उन्होने कहा कि उन पर कोई दबाव नहीं था, यशस्वी के अनुसार उन्हें बचपन से प्रेशर लेने की आदत है।

New Delhi, Jul 04 : श्रीलंका दौरे के लिये अंडर-19 टीम इंडिया का ऐलान किया जा चुका है, इस दौरे पर भारतीय टीम को दो चार दिवसीय मैच के साथ-साथ 5 वनडे मैच भी खेलने हैं, कुछ दिन पहले ही इस दौरे के लिये टीम का ऐलान किया गया है। टीम चयन के बाद मास्टर-ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर काफी दिनों तक सुर्खियों में रहे थे, क्योंकि पहली बार उनका चयन भारतीय अंडर-19 टीम में किया गया है। इस टीम में बतौर ऑलराउंडर यशस्वी जायसवाल का भी चयन किया गया है, उनके यहां तक का सफर काफी कठिनाईयों भरा रहा है।

क्रिकेट के लिये यूपी से मुंबई पहुंचे
सिर्फ 11 साल की उम्र में क्रिकेटर बनने के लिये यूपी के भदोही से मुंबई आ गये। यशस्वी जायसवाल की कहानी काफी संघर्षपूर्ण है, हालांकि उनकी मेहनत और संघर्ष बेकार नहीं गया, उन्हें पहली बार अंडर-19 टीम में जगह दी गई है। यशस्वी को जानने वाले बताते हैं कि कई दिनों तक भूखे पेट वो टेंट में सोये, लेकिन फिर भी कभी क्रिकेट छोड़ घर जाने का नहीं सोचा।

टेंट में रहते थे
यूपी से मुंबई आए यशस्वी आजाद मैदान में मुस्लिम यूनाइटेड क्लब में रहते थे, इस दौरान वो टेंट में कई दिनों तक भूखे पेट भी सोये, लेकिन कभी हार नहीं मानी। आजाद मैदान के बाहर ही अपना खर्चा चलाने के लिये वो पानी-पुरी बेचते थे। दरअसल उनके पिता जो उन्हें खर्च के लिये पैसे भेजते थे, वो पूरा नहीं पड़ता था, इसी वजह से उन्होने पानी पुरी बेचने का काम शुरु किया।

कोच खासे प्रभावित
यशस्वी जब पानी पुरी बेचते थे, तो उन्हें बस एक ही बात का डर लगा रहता था कि उनका कोई टीम मेट या जानने वाला उन्हें ऐसा करते हुए देख ना लें। मुंबई अंडर-19 को कोच सतीश सामंत यशस्वी के खेल से खासे प्रभावित हैं, उन्हें यकीन है कि एक दिन वो बड़ा क्रिकेटर बनेगा और सफल क्रिकेटरों में उनका भी नाम गिना जाएगा।

कोच ज्वाला सिंह को क्रेडिट
मुंबई अंडर-19 के कोच सतीश सामंत ने यशस्वी जायसवाल के बारे में बोलते हुए कहा कि अंडर-19 टीम में उनके चयन का क्रेडिट कोच ज्वाला सिंह को जाता है। यशस्वी को आजाद मैदान पर खेलते हुए ज्वाला सिंह ने ही देखा था, फिर वो उन्हें अपने क्रिकेट एकेडमी में ले आए और उनके खेल को निकारने का काम किया ।

ज्वाला खुद क्रिकेटर बनने आए थे
आपको बता दें कि साल 2011 में अपनी क्रिकेट एकेडमी शुरु करने वाले ज्वाला सिंह खुद भी क्रिकेटर बनने का सपना लेकर मुंबई आये थे, लेकिन ऐसा करने में वो सफल नहीं रहे। ज्वाला सिंह की कोशिश अब ज्यादा से ज्यादा बच्चों के सपनों को पूरा करना है। भदोही के रहने वाले युवा क्रिकेटर यशस्वी को परेशान देख ज्वाला ने उनकी काफी मदद की।

प्रेशर लेने की आदत
यशस्वी और उनका परिवार कोच ज्वाला सिंह की खूब तारीफ करते हैं, अंडर-19 टीम इंडिया में चयन होने के बाद यशस्वी से परफॉरमेंस के प्रेशर के बारे में पूछा गया, तो उन्होने कहा कि उन पर कोई दबाव नहीं था, यशस्वी के अनुसार उन्हें बचपन से प्रेशर लेने की आदत है, यशस्वी ने अपने साथ घटी एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि एक बार उनके दोस्तों ने उन्हें लंच करने के लिये साथ चलने को कहा, तब उन्होने काफी शर्मिंदगी महसूस की थी, क्योंकि उनके जेब में पैसे नहीं थे, तब उन्होने कहा था भूख है, लेकिन पैसे नहीं।

IBNNews Network

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