New Delhi, Oct 20: दीवाली के बाद जिस त्योहार को लेकर चर्चा होती है वो है भाई दूज का पर्व, इस दिन बहनें अपने भाईयों की लंबी उम्र के लिए उनको टीका लगाती हैं, कलाई पर धागा बांधती हैं। दीवाली के एक दिन बाद हर साल भाई दूज मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भाई दूज का पर्व क्यों मनाया जाता है। क्या है इसकी कहानी. हम आपको भाई दूज के बारे में हर वो बात बताएंगे जो आप जानना चाहते हैं। सबसे पहले बताते हैं कि भाईदूज का पर्व मनाने के पीछे कौन सी पौराणिक कहानी है।
यम और यमुना का जन्म
हमारे शास्त्रों के मुताबिक सूर्य देव की संज्ञा से दो संतानें थीं, एक पुत्र यमराज और दूसरी पुत्री यमुना। सूर्य का तेज सहन न कर
भाई-बहन का प्रेम
यमराज अपनी बहन यमुना से बहुत लगाव था, वो उस से बहुत प्रेम करते थे। बहुत ज्यादा व्यस्त रहने के कारण वो अपनी बहन
बहन ने मांगा वरदान
अपनी बहन यमुना का प्रेम देख कर यमराज गद्गद हो गए, यमुना के आदर सत्कार से वो बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने यमुना को
यमुना ने वरदान में क्या मांगा
यमराज के कहने पर यमुना ने कहा कि अगर आप मुझसे प्रसन्न हैं और वरदान देना चाहते हैं, तो यही वर दीजिए कि आज के
इस बार भाई दूज की तिथि
भाई दूज का पर्व दीवाली के एक दिन बाद मनाया जाता है। पूरे देश में बहनें अपने भाईयों का इंतजार करती हैं। भाईदूज के दिन
भाई दूज का शुभ मुहूर्त
भाई दूज के दिन भाईयों को टीका लगाने के लिए शुभ मुहुर्त भी होता है। पंचांग देख कर इसका मुहुर्त निकाला जाता है। इस बार
तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त: 1:50 से 3:56 बजे तक
उपहार में क्या दें
भाई दूज के मौके पर बहनों के टीका करने के बाद भाई उपहार में अपनी बहन को क्या दें, हम इस बारे में भी आपको जानकारी दे
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