New Delhi, Jan 24 : हमारे पुराणों, शास्त्रों, एतिहासिक गाथाओं में कई चमत्कारों का वर्णन हैं । ऐसा ही एक चमत्कार है कौरवों का जन्म, भला एक माता एक साथ 100 पुत्रों को जन्म कैसे दे सकती है । जी हां ये रहस्यमयी गाथा आपको हैरान कर सकती है । 100 कौरवों का जन्म कोई प्राकृतिक गर्भ घटना नहीं थी, ये एक ऐसी कथा है जो भारत के प्राचीन रहस्यमयी विज्ञान का जीता जागता उदाहरण है । महारानी गांधी के गर्भाधान से लेकर शिशुओं के जन्म तक की ये कथा आगे जानिए ।
कौन थी गांधारी ?
कौरवों के जन्म से पहले उनकी माता गांधारी के बारे में जानना आवश्यक है । गांधारी, गांधार देश के राजा ‘सुबल’ की कन्या थीं । गांधार से होने
आंखों पर पट्टी बांधकर रहीं गांधारी
गांधारी हस्तिनापुर के महाराज धृतराष्ट्र की पत्नी बनीं, विवाह उपरांत अपने अंधे पति को देखकर उनसे रहा नहीं गया और उन्होने भी आजीवन
कौरवों के जन्म की कथा
महारानी गांधारी अपने सेवा भाव के लिए जानी जाती थीं । एक बार महर्षि वेदव्यास हस्तिनापुर पधारे । गांधारी ने तब उनकी बहुत सेवा की ।
दो वर्षों तक गर्भवती रहीं गांधारी
आप जानकर हैरान होंगे कि गांधारी को ये गर्भ दो वर्ष तक रहा । सामान्य गर्भ 9 महीने का होता है लेकिन गांधारी के गर्भ को 24 महीने बीत
वेद व्यास की कृपा दृष्टि
अपनी योग दृष्टि से महर्षि इस पूरे घटनाक्रम को देख रहे थे । जैसे ही गर्भपात का उन्हें पता चला वो फौरन हस्तिनापुर पहुंच गए । उन्होंने वहां
दो साल बाद जन्में 99 पुत्र और एक कन्या
दो वर्ष के बाद गांधरी ने घी कुंडो को खालना शुरू किया । पहले कुंड से दुर्योधन का जन्म हुआ । इसके बाद एक-एक कर 99 पुत्र जन्में एवं
गांधारी के पुत्रों के नाम
1. दुर्योधन, 2. दु:शासन, 3. दुस्सह, 4. दुश्शल, 5. जलसंध, 6. सम, 7. सह, 8. विंद, 9. अनुविंद, 10. दुद्र्धर्ष, 11. सुबाहु, 12. दुष्प्रधर्षण,
13. दुर्मुर्षण, 14. दुर्मुख, 15. दुष्कर्ण, 16. कर्ण, 17. विविंशति, 18. विकर्ण, 19. शल, 20. सत्व 21. सुलोचन, 22. चित्र, 23. उपचित्र, 24. चित्राक्ष, 25. चारुचित्र, 26. शरासन, 27. दुर्मुद, 28. दुर्विगाह, 29. विवित्सु, 30. विकटानन, 31. ऊर्णनाभ, 32. सुनाभ, 33. नंद, 34. उपनंद, 35. चित्रबाण, 36. चित्रवर्मा, 37. सुवर्मा, 38. दुर्विमोचन, 39. आयोबाहु, 40. महाबाहु, 41. चित्रांग, 42. चित्रकुंडल, 43. भीमवेग, 44. भीमबल, 45. बलाकी, 46. बलवद्र्धन, 47. उग्रायुध, 48. सुषेण, 49. कुण्डधार, 50. महोदर, 51. चित्रायुध, 52. निषंगी, 53. पाशी, 54. वृंदारक, 55. दृढ़वर्मा, 56. दृढ़क्षत्र, 57. सोमकीर्ति, 58. अनूदर, 59. दृढ़संध, 60. जरासंध 61. सत्यसंध, 62. सद:सुवाक, 63. उग्रश्रवा, 64. उग्रसेन, 65. सेनानी, 66. दुष्पराजय, 67. अपराजित, 68. कुण्डशायी, 69. विशालाक्ष, 70. दुराधर, 71. दृढ़हस्त, 72. सुहस्त
विरजा नाम की पुत्री भी जन्मी
73. बातवेग, 74. सुवर्चा, 75. आदित्यकेतु, 76. बह्वाशी 77. नागदत्त, 78. अग्रयायी, 79. कवची, 80. क्रथन, 81. कुण्डी, 82. उग्र, 83. भीमरथ,
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