अध्यात्म

एक ही दिन पड़ रही है अष्टमी और नवमी, पढिये कन्या पूजन का शुभ मूहूर्त और विधि

अष्टमी के अलावा नवमी को भी कन्या पूजन किया जाता है, कई लोग नवरात्र में उपवास के बाद नवमी को कन्या पूजन करने के बाद अपना उपवास तोड़ते हैं।

New Delhi, Mar 25 : हिंदू धर्म में नवरात्र का बहुत महत्व माना जाता है, अभी चैत्र नवरात्र चल रहा है। आपको बता दें कि इस साल चैत्र नवरात्र 18 मार्च से शुरु होकर 25 मार्च तक रहेंगे। इस साल अष्टमी और नवमी तिथि एक ही दिन पड़ रही है। आज (25 मार्च) को राम नवमी भी मनाई जाएगी, ऐसा तिथि घटने और बढने के कारण हो रहा है। आइये आपको बताते हैं कि कन्या पूजन और शुभ मूर्हूत कब है ?

कन्या पूजन
आपको बता दें कि नवरात्र में आठवें और नौवें दिन कन्या पूजन और 9 कन्याओं को घर बुलाकर भोजन करवाने का विधान होता है, नवमी के दिन कन्याओं को नौ देवी मां का स्वरुप मानकर उनका स्वागत करते हैं, साथ ही उन्हें भोजन करवाने के बाद कुछ तोहफा देकर विदा करते हैं।

चैत्र शुक्ल पक्ष
इस साल चैत्र शुक्ल पक्ष 14 दिन का है, इसमें नवमी तिथि का क्षय है। ऐसे में अष्टमी और नवमी दोनों दिन का व्रत और दर्शन-पूजन 25 मार्च को ही होगा। इसलिये अगर आप भी नवरात्र का उपवास रखते हैं, तो आज ही पूजा कर लें।

अष्टमी
इस साल चैत्र नवरात्र की अष्टमी तिथि 24 मार्च सुबह 10 बजकर 15 मिनट से शुरु हो जाएगी, ये 25 मार्च को सुबह 8 बजकर 15 मिनट तक रहेगी। इसलिये जो लोग 24 मार्च को कन्या पूजन कर रहे हैं, वो इस बात का ध्यान रखें, कि सुबह 10 बजे के बाद ही कन्या का पूजन करें, क्योंकि उससे पहले सप्तमी तिथी है।

नवमी
अष्टमी के अलावा नवमी को भी कन्या पूजन किया जाता है। कई लोग नवरात्र में उपवास के बाद नवमी को कन्या पूजन करने के बाद अपना उपवास तोड़ते हैं, वो लोग सुबह 8 बजकर 15 मिनट के बाद ही कन्याओं का पूजन करें, क्योंकि रविवार को सुबह 8.15 बजे तक अष्टमी है, उसके बाद नवमी शुरु हो जाएगा।

कन्या पूजन महत्व
नवरात्र के पूजन में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार कन्या पूजन के बिना नवरात्र की पूजा अधूरी मानी जाती है। इसलिये नौ कन्याओं को नौ देवियों के रुप में पूजने के बाद ही नवरात्र पूरी मानी जाती है। इसलिये इसे नजरअंदाज ना करें।

कन्या पूजन विधि
कन्या पूजन से पहले उन कन्याओं को निमंत्रण देना चाहिये, फिर जब वो आ जाए, तो दूध और पानी से भरे थाल में उनके पैरों को धोना चाहिये। उसके बाद उनका पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिये। इसके बाद सारी कन्याओं का टीका करना चाहिये, फिर उन्हें भरपेट भोजन करवाने के बाद दक्षिणा देकर उन्हें विदा करें।

पारण
नवरात्रि का पारण इस साल 25 मार्च को ही करना है, पंडित जी के अनुसार इस साल पारण का शुभ समय सुबह साढे आठ बजे के बाद 26 मार्च 4.39 मिनट से पहले करना होगा। दरअसल नवमी का पारण सूर्योदय के बाद करना चाहिये, लेकिन इस बात का भी ध्यान रखें, कि अगले दिन का सूर्योदय ना हो जाए।

माता का आगमन-गमन
ज्योतिषाचार्य ने जानकारी दी कि इस साल मां जगदंबा का आगमन हाथी पर और गमन भैंसे पर हो रहा है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार माता का आगमन फलानुसार समृद्धि और वर्षा सामान्य होने की संभावना है। तो माता का गमन फलानुसार रोग, शोक विपत्ति कारक हैं।

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