New Delhi, Oct 10 : दुर्गापूजा में पूजी जाने वाली मां दुर्गा की मूर्तियों का एक खास महत्व होता है, लेकिन शायद ही आपको पता होगा कि इन मूर्तियों को तैयार करने में खास मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है। ये मिट्टी कई विशिष्ठ स्थानों से लाई जाती है। पवित्र गंगा नदी के किनारे से लाई गई मिट्टी के अलावा इसमें गाय का गोबर, गोमूत्र और थोड़ी सी निषिद्धो पाली से मिट्टी मंगाकर मिलायी जाती है। अब आप सोच रहे होंगे, कि आखिर निषिद्धो पाली क्या है, जहां वेश्याएं रहती है, उसे निषिद्धो पाली कहा जाता है। आइये विस्तार से आपको पूरी कहानी बताते हैं।
यहां बनती है मूर्तियां
दुर्गा पूजा मूल रुप से पश्चिम बंगाल का त्योहार है, हालांकि अब इसे पूरे उत्तर भारत में धूम-धाम से मनाया जाता है। इस मौके पर मां दुर्गा की मूर्तियों के साथ-साथ पंडाल सजाया जाता है,
दुर्गा उत्सव और मूर्तियों की कहानी
उत्तरी कोलकाता में बनाये जाने वाली मूर्तियों में देश के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया सोनागाछी से लायी गई मिट्टी को मूर्तियों में इस्तेमाल किया जाता है।
मां के आशीर्वाद का परिणाम
कुछ जानकारों का दावा है कि प्राचीन काल में एक वेश्या माता दुर्गा की अन्नय भक्त थी, उसे समाज से तिरस्कार से बचाने के लिये माता ने स्वयं आदेश देकर उसके आंगन की मिट्टी से अपनी मूर्ति स्थापित करवाने की परंपरा शुरु करवाई थी।
समाज सुधार का प्रतीक
कोलकाता से ही कई सामाजिक सुधार के आंदोलन भी चले हैं। इन्हीं में से एक महिला सम्मान के लिये था, इसलिये मान्यता प्रचलित की गयी, कि नारी शक्ति का ही एक स्वरुप है।
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