अध्यात्म

सावन का पहला सोमवार आज, जानें शिव के प्रिय बेलपत्र की महिमा, जानिए ये भोलनाथ को इतना प्रिय क्‍यों है

क्या आप जानते हैं कि बेलपत्र की महिमा क्या है, वो इतना मूल्यवान क्यों माना जाता है। उसे किस तरह से इस्तेमाल करना चाहिए।

New Delhi, Jul 30 : भगवान शंकर को जो वस्तुएं अर्पित की जाती हैं उनमें बेल पत्र का अहम स्थान है। ये भगवान शंकर को बहुत प्रिय है। कहा जाता है कि भगवान शंकर को एक लोटा जल अर्पित किया जाए और बेल पत्र अर्पित किया जाए तो भगवान शिव की कृपा आसानी से मिल जाती है। माना जाता है कि शंकर भगवान बहुत भोले हैं, वो बहुत आसानी से भक्तों पर प्रसन्न हो जाते हैं। उनके भोलेपन के बारे में पुराणों और हमारे धार्मिक ग्रंथों में बहुत कुछ लिखा गया है। उनकी पूजा और आराधना के लिए इस्तेमाल होने वाले बेलपत्र के बारे में आज जानिए कुछ खास बातें ।

बेल पत्र की महिमा
मान्‍यता है कि बेल पत्र तीन जन्मों के पाप को नष्ट कर देता है। पुराणों में इसकी महिमा के बारे में विस्तार से लिखा गया है। भोलेनाथ को सृष्टि का आदि और अंत माना गया है। उनकी कृपा अगर मिल गई तो तीन जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके लिए बेल पत्र के साथ उनकी आराधना करनी चाहिए। इसके अलावा और क्या करना चाहिए ये आगे जानिए ।

शिव पूजा रह जाएगी अधूरी
बेल के पेड़ की पत्तियों को बेल पत्र कहा जाता है. तीन पत्तियां एक ही प्रकार से जुड़ी होती हैं, इनको एक पत्ता माना जाता है । शिव जी की पूजा में बेल पत्र  के अद्भुत प्रोयग होते हैं और बिना बेल पत्र के शिव जी की पूजा अधूरी मानी जाती है। बेल पत्र के औषधिय प्रयोग भी हैं, इसके प्रयोग से तमाम बीमारियों का इलाज किया जा सकता है।

ऐसे करें बेल पत्र का प्रयोग
बेल पत्र का इस्तेमाल करने और उनको भोलेनाथ पर चढ़ाने से पहले कुछ सावधानियां बरतनी चाहिएं। एक बेल पत्र में तीन पत्तियां होनी चाहिए, पत्तियां टूटी हुई ना हो और उनमें छेद भी नहीं होना चाहिए . शिव जी को जब भी बेल पत्र अर्पित करें तो चिकनी तरफ से ही चढ़ाएं, एक ही बेल पत्र को जल से धोकर बार-बार भी चढ़ा सकते हैं। ध्यान रखें कि बिना जल के बेल पत्र अर्पित नहीं करना चाहिए

विवाह के लिए करें ये उपाय
अगर आपकी या फिर आपके घर में किसी का विवाह नहीं हो रहा है तो 108 बेल पत्र लें और उनपर चंदन से राम लिखें, ऊं नम: शिवाय कहते हुए बेल पत्र को शिवलिंग पर चढ़ाते जाएं. जब 108 बेल पत्र चढ़ा लें तो शीघ्र विवाह की प्रार्थना करें, ये प्रयोग सावन के महीने में विशेष रूप से फलदायी होता है। इसलिए कुवांरी कन्याएं सावन में सोमवार का व्रत करती हैं।

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