New Delhi, Aug 09 : व्रत हों या फिर कोई तयौहार, भारत में घर की महिलाएं खूब सजती धजती हैं । फिर चाहें कुंवारी कन्याएं हों या शादीशुदा महिलाएं । श्रृंगार कर अपने रूप को और निखारती हैं । दरअसल इसके पीछे सौंदर्य को निखारने की ही मंशा नहीं होती, ऐसा करने से घर में सुख और समृद्धि का भी आगमन होता है । ऋग्वेद में भी सोलह शृंगार का जिक्र है, जिसमें इसे भाग्य को बढ़ाने वाला कहा है । ये सोलह श्रृंगार कौन से हैं आइए आपको बताते हैं ।
मांग टीका
माथे के बीचों-बीच पहने जाने वाला यह आभूषण नववधू को सिर के बीचों-बीच इसलिए पहनाया जाता है ताकि वह शादी के बाद हमेशा अपने
बिंदी
दोनों भौंहों के बीच कुमकुम से लगाई जाने वाली बिंदी भगवान शिव के तीसरे नेत्र का प्रतीक मानी जाती है । इसे परिवार की समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
सिंदूर
विवाह के समय पति अपनी पत्नी के मांग में सिंदूर भर कर उसे जीवन भर उसका साथ निभाने का वचन देता है। सिंदूर पुरुष के स्त्री के साथ
काजल
काजल महिलाएं अपनी आंखों की सुन्दरता बढ़ाने के लिए लगाती हैं। काजल हर खूबसूरत महिला को बुरी नजर से भी बचाए रखता है।
मेहंदी
मेहंदी के बिना हर सुहागन का श्रृंगार अधूरा माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि नववधू के हाथों में मेहंदी जितनी गाढ़ी रचती है, उसका पति
शादी का जोड़ा
हर महिला के लिए अपना शादी का जोड़ा बेहद खास होता है। महिलाओं के लिए उनका श्रृंगार इस जोड़े के बिना पूरा नहीं माना जाता है।
गजरा
दुल्हन के बालों में लगा सुगंधित फूलों का गजरा उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देता है। बालों में फूलों का गजरा घर के पूरे वातावरण को
नथ
सुहागिन स्त्रियों के लिए नाक में आभूषण पहनना बेहद अनिवार्य माना जाता है । आम तौर पर स्त्रियां नाक में छोटी सी नोजपिन पहनती हैं, जिसे लौंग कहते हैं ।
मंगल सूत्र
भारत में वर द्वारा वधू के गले में मंगल सूत्र पहनाने की रस्म काफी अहम होती है । गले में पहना जाने वाला ये मंगल सूत्र पति के प्रति सुहागन
ईयरिंग्स
कान में पहने जाने वाला यह आभूषण कई तरह के सुंदर डिजाइन में उपलब्ध होता है । मान्यता है कि विवाह के बाद बहू को खासतौर से पति और ससुराल वालों की बुराई करने और सुनने से दूर रहना चाहिए।
अंगूठी
शादी से पहले मंगनी या सगाई की रस्म में वर-वधू द्वारा एक-दूसरे को अंगूठी को सदियों से पति-पत्नी के आपसी प्यार और विश्वास का प्रतीक
बाजूबंद
पुराने समय में सुहागिन स्त्रियों को हमेशा बाजूबंद पहने रहना अनिवार्य माना जाता था। ऐसी मान्यता है कि स्त्रियों को बाजूबंद पहनने से परिवार के धन की रक्षा होती।
चूड़ियां
चूड़ियां सुहाग का प्रतीक हैं । सुहागिन स्त्रियों की कलाइयां हमेशा चूड़ियों से भरी होनी चाहिए । लाल रंग की चूड़ियां, विवाह के बाद खुशी और
कमरबंद
कमरबंद कमर में पहना जाने वाला आभूषण है । जिसे स्त्रियां विवाह के बाद पहनती हैं । कमरबंद में चाबियों का गुच्छा पहना जाता है, जो इस बात का प्रतीक है कि सुहागन अब अपने घर की स्वामिनी है।
बिछुए
पैरों के अंगूठे और छोटी अंगुली को छोड़कर बीच की तीन अंगुलियों में चांदी का बिछुआ पहना जाता है। शादी में फेरों के वक्त इन्हें पहनाया
पायल
पैरों में पायल पहनना शुभता लाता है । ये दिमाग को शांत करता है । पैरों में हमेशा चांदी के ही जेवर पहनने चाहिए ।
काले रंग से करें परहेज
हिंदू धर्म शस्त्रों में सुहागिन स्त्रियों को लाल रंग का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है । ये रंग सौभाग्य का प्रतीक है । ठीक उसी तरह एक रंग
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