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राजपक्षे परिवार का सत्ता का राजयोग, आजादी के बाद से अब तक सत्ता पर पकड़, दिलचस्प कहानी जानिये

राजपक्षे परिवार के सबसे असरदार राजनेताओं में महिन्द्रा राजपक्षे का नाम लिया जाता है, वो इस समय श्रीलंका के प्रधानमंत्री हैं, अगस्त 2020 का संसदीय चुनाव जीतकर इस पद पर काबिज हुए हैं।

New Delhi, Apr 06 : श्रीलंका की अर्थव्यवस्था ढह रही है, सरकारी खजाना इस स्तर पर पहुंच चुका है कि पेट्रोल-डीजल, दवाओं जैसी बेहद जरुरी चीजों के लिये पैसे नहीं बचे हैं, तमाम उत्पादों की कीमतें आसमान छू रही है, आम जनता रोजमर्रा के संघर्ष में जमीन पर एड़ियां रगड़ रही है, इस स्थिति के लिये प्रत्यक्ष रुप से ढूले सासन तंत्र को जिम्मेदार बताया जा रहा है। वहीं अप्रत्यक्ष रुप से राजपक्षे परिवार को, वो परिवार जो श्रीलंका की आजादी के बाद से लगातार किसी ना किसी रुप में देश की सत्ता से जुड़ा रहा है, उस पर काबिज रहा है, राजपक्षे परिवार कोई राजपरिवार नहीं है, लेकिन अपने माथे पर राजयोग लिखवाकर लाया है, ऐसा कह सकते हैं, क्योंकि इस समय इस परिवार की चौथी पीढी देश की सत्ता सुख भोगने के लिये कमर कस चुकी है, श्रीलंका की राजनीति में इस परिवार के चढाव की कहानी दिलचस्प है, आईये आपको बताते हैं।

राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत सरकार के 11 मंत्रालयों में सिर्फ राजपक्षे
शुरुआत वर्तमान से करते हैं, राजपक्षे परिवार के सबसे असरदार राजनेताओं में महिन्द्रा राजपक्षे का नाम लिया जाता है, वो इस समय श्रीलंका के प्रधानमंत्री हैं, अगस्त 2020 का संसदीय चुनाव जीतकर इस पद पर काबिज हुए हैं, वो राजपक्षे परिवार की तीसरी पीढी के नेता हैं, इनसे पहले की दो पीढी के नेताओं में इनके पिता और ताऊ का नाम आता है, उनका जिक्र बाद में, पहले अभी की बात, महिन्द्रा के छोटे भाई हैं, गोटबाया राजपक्षे, पहले रक्षा मंत्री हुआ करते थे, इस समय श्रीलंका के राष्ट्रपति हैं, नवंबर 2019 में राष्ट्रपति चुनाव जीतकर इस पद पर पहुंचे हैं, इनसे भी छोटे हैं बासिल राजपक्षे, अभी दो दिन पहले तक श्रीलंका के वित्त मंत्री थे, हालांकि आर्थिक संकट के कारण विवाद बढा, तो बड़े भाई ने उन्हें बर्खास्त कर दिया, इसके बावजूद बताया जाता है कि इस समय श्रीलंका के 11 महत्वपूर्ण मंत्रालय इस परिवार के सदस्यों के पास है, कुछ अन्य सदस्य राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के सचिवालय में भी तैनात हैं।

चौथी पीढी तैयार
सिर्फ राजनीति ही नहीं, राजनयिक पदों पर भी इस परिवार के सदस्यों को काबिज कराया गया है, जैसे महिन्द्रा की सगी बहन प्रीति के पति ललित पी चंद्रदासा इस समय अमेरिका में महावाणिज्यदूत हैं, महिन्द्रा के रिश्ते की बहन कमला के बेटे जलिय विक्रमसूर्या अमेरिका के राजदूत रह चुके हैं, इतना ही नहीं इस परिवार की चौथी पीढी को सत्ता पर काबिज होने के लिये तैयार किया जा रहा है, जैसे प्रधानमंत्री महिन्द्रा के एक बेटे नमल दो दिन पहले तक युवा एवं खेल मंत्री थे, महिन्द्रा के सबसे बड़े भाई चमल राजपक्षे गृह राज्य मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री थे, उनके बेटे शशेंद्र कृषि मंत्री थे, हालांकि जनता के असंतोष की वजह से राजपक्षे को मंत्रियों समेत इस्तीफा देना पड़ा है, वहीं महिन्द्रा के दूसरे बेटे योशिता प्रधानमंत्री के निजी स्टाफ के प्रमुख पद पर बने हुए हैं।

पहली और दूसरी पीढी
श्रीलंका को फरवरी 1948 में अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली, उससे पहले राजपक्षे परिवार की राजनीति में एंट्री हो चुकी थी, तब 1931 में वामपंथी विचार वाले डॉन मैथ्यू राजपक्षे ने सियासत में कदम रखा था, वो सीलोन प्रांतीय परिषद के सदस्य बने थे, हालांकि देश की आजादी से पहले ही उनका मई 1945 में निधन हो गया, इसके बाद राजनीति को उनके छोटे बाई डॉन एल्विन राजपक्षे ने आगे बढाया, महिन्द्रा राजपक्षे इन्हीं के बेटे हैं, देश को आजादी मिलने के बाद डीए राजपक्षे ने 1951 में एक रईस घराने से ताल्लुक रखने वाली एसडब्लयूआरडी भंडारनायके के साथ मिलकर श्रीलंका फ्रीडम पार्टी की स्थापना की, वो प्रधानमंत्री विजयनंदा दहनायके की कैबिनेट में कृषि मंत्री भी रहे। फिर पिता और ताऊ से शुरु हुआ सियासत का सिलसिला महिन्द्रा राजपक्षे ने आगे बढाया, इसमें खास तौर पर उनका साथ दिया गोटबाया ने, इन लोगों ने लंबे समय तक श्रीलंका में राज किया।

चीन से नजदीकी, भ्रष्टाचार और 24 हजार करोड़ की काली कमाई
शीर्ष पर काबिज होने के बाद महिन्द्रा ने हर तरह से श्रीलंका की सत्ता को अपने काबू में रखने की कोशिश की, उतार-चढाव का सामना किया, लेकिन सियासत पर असर और दखल बनाये रखने में उन्होने कोई कसर नहीं छोड़ी, कबी मैत्रीपाल सिरिसेना (पूर्व राष्ट्रपति) जैसे अपने समर्थकों के जरिये तो कबी परिवार के सदस्यों के जरिये, 2016 में इन्होने श्रीलंका पीपुल्स फ्रंट नाम से एक नई पार्टी भी बना ली, यहां तक कि राष्ट्रपति जैसा शीर्ष पद संभालने के बाद भी प्रधानमंत्री बनने से नहीं चूके, अब तक जब जनता के असंतोष को देखते हुए देश के सभी 26 मंत्री इस्तीफा दे चुके हैं, तब भी महिन्द्रा और गोटबाया अपने पदों पर बने हुए हैं, यही नहीं 2005 के बाद राजपक्षे का पूरा कार्यकाल और परिवार विवादों में रहा है। इस दौरान चीन को हंबनटोटा जो कि महिंद्रा का गृहनगर भी है, जैसा बंदरगाह पट्टे पर दिया गया, श्रीलंका के भीतर सड़क और रेल मार्ग निर्माण के कई ठेके चीनी कंपनियों को दिये गये, जिसमें भयानक करप्शन और धांधली की खबरें आई, जैसे ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के अनुसार 2012 में करीब 300 करोड़ रुपये का घपला तो एक सड़क परियोजना में ही सामने आया था, एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि राजपक्षे परिवार के पास विदेशी बैंकों में करीब 24 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की काली कमाई जमा है।

IBNNews Network

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