New Delhi, Dec 15 : पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर एक तेज बहस हो रही है, दरअसल ये बहस सरकार के पक्ष और विपक्ष के लोगों के बीच फाइनेंशियल रिज्योलूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस एक्ट को लेकर है। विपक्ष का कहना है कि आम लोगों में इसे लेकर काफी घबराहट है, ये प्रस्तावित कानून बैकों में जमा लोगों की बचतों का केन्द्र सरकार द्वारा अपने कब्जे में कर लेने का रास्ता तैयार करता है, थोड़ा और स्पष्ट शब्दों में कहा जाए, तो ये है कि ये कानून सरकार को ये अधिकार देगा, कि अगर कोई बैंक दिवालिया हो जाने की स्थिति में या फिर उसे पुनर्जीवित करने के नाम पर बैकों में जमा लोगों के पैसों को अपने नियंत्रण में ले ले।
डर का कारण क्या है ?
फाइनेंशियल रिजोल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस एक्ट को लेकर लोगों में डर का एक बड़ा कारण है कि इसका मकसद इकॉनमी के लिये वित्तिय संस्थानों के साथ-साथ छोटे बचतकर्ताओं के हितों की रक्षा करना बताया जा रहा है,
प्रावधानों की समीक्षा
पिछले कुछ हफ्तों से चली आ रही लंबी बहस के बाद केन्द्रीय फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने कहा कि लोगों की शंकाओं को दूर करने के लिये फिलहाल संसद की स्थायी समिति में विचाराधीन प्रस्तावित कानून के कुछ प्रावधानों की समीक्षा की जाएगी,
नोटबंदी, जीएसटी के बाद एफआरडीआई
एफआरडीआई लागू करने से पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली को ये जरुर समझना होगा, कि प्रस्तावित कानून को लेकर जिस तरह की शंकाओं को जाहिर किया जा रहा है,
शंकाएं क्या है ?
इस नये प्रस्तावित कानून के अनुच्छेद 52 में कहा गया है कि किसी बैंक के व्यवसायिक रुप से अक्षम हो जाने की स्थिति में जमाकर्ताओं द्वारा जमा किये गये पैसों की प्रकृति को बदला जा सकता है।
उदाहरण से ऐसे समझे
अगर किसी कारण से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की वित्तिय स्थिति खराब होती है, वो जोखिम में आ जाता है, तो उसे नये कानून के तहत रिजोल्यूशन कॉरपोरेशन के पास भेज दिया जाता है,
एसबीआई की पूंजी में इजाफा
जमाकर्ताओं का एक हिस्सा बैंकों के शेयरों में बदल दिया जाएदा, इस आंशिक बदलाव से एसबीआई की पूंजी में इजाफा होगा, संभव है कि इससे एसबीआई या फिर दूसरे बैकों की पूंजी में इजाफा होगा।
बेल-इन योजना
सैद्धांतिक तौर पर देखें, तो सरकार के लिये ये नई बेल इन योजना सुखद स्थिति है, लेकिन राजनीतिक तौर पर इस कदम को चारों ओर से चुनौती दी जाएगी।
राजनीतिक भूचाल
ये दलील दी जा सकती है कि किसी भी देश की सरकार किसी भी सार्वजनिक बैंक के बेल-इन का कदम नहीं उठाएगी,
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