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कांग्रेस से ‘नाराज’ चल रहे गुलाम नबी आजाद ने दिये बड़े संकेत, जम्मू में कही भावुक करने वाली बात

लोगों से बात करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि हमको एक समाज में बदलाव लाना है, कभी-कभी मैं सोचता हूं और कोई बड़ी बात नहीं है, कि अचानक आप समझे कि हम रिटायर हो गये, और समाज सेवा में लग गये।

New Delhi, Mar 21 : पूर्व केन्द्रीय मंत्री तथा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने राजनीति से संन्यास लेने के संकेत दिये हैं, एक कार्यक्रम के दौरान उन्होने कहा, कि कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दल लोगों का बांटने का काम करते हैं, जबकि सिविल सोसाइटी का मुश्किल समय में काफी अहम योगदान होता है, उन्होने कहा कि मैं अकसर ये सोचता हूं कि राजनीति से रिटायर होकर समाजसेवा में लग जाऊं।

हमें समाज में लाना है बदलाव
लोगों से बात करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि हमको एक समाज में बदलाव लाना है, कभी-कभी मैं सोचता हूं और कोई बड़ी बात नहीं है, कि अचानक आप समझे कि हम रिटायर हो गये, और समाज सेवा में लग गये, उन्होने कहा कि मैं राजनीतिक भाषण नहीं दूंगा, क्योंकि भारत में राजनीति इतनी गंदी हो गई है कि लोगों को कभी-कभी शक होता है, कि हम इंसान भी हैं या नहीं।

लोगों को बांटते हैं
गुलाम नबी आजाद ने कहा सामूहिक नेतृत्व के लिये दबाव बनाने के लिये जी-23 के सदस्य के रुप में चुनावी हार के बाद हाल ही में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करने वाले गुलाम नबी ने कहा कि राजनीतिक दल धर्म, जाति के आधार पर लोगों के बीच 24*7 विभाजन करने का काम करते हैं, कांग्रेस नेता ने रविवार को जम्मू में एक कार्यक्रम में कहा, चाहे मेरी पार्टी हो या कोई अन्य क्षेत्रीय या राष्ट्रीय पार्टी, मैं उनवमें से किसी को भी माफ नहीं कर रहा हूं, नागरिक समाक को एक साथ रहना चाहिये और बुराइयों के खिलाफ लड़ना चाहिये।

समाज में बुराइयों के लिये राजनेता जिम्मेदार
गुलाम नबी आजाद ने अपने भाषण में समाज में बुराइयों के लिये राजनेताओं को जिम्मेदार ठहराया, उन्हें समाज में बदलाव लाने वाले राजनीतिक दलों के दावों पर संदेह था, उन्होने कहा कि हमने लोगों को क्षेत्र, गांव, शहरों, हिंदू, मुस्लिम, शिया और सुन्नियों, दलित और गैर-दलित, पिछड़े वर्गों में बांट दिया है, अब कोई इंसान नहीं बचा, देश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पर अफसोस जताते हुए कांग्रेस नेता ने राजनीतिक दलों पर आरोप लगाया, उन्होने कहा कि भारत में राजनीति इतनी बदसूरत हो गई है, कि कभी-कभी किसी को संदेह करना पड़ता है कि हम इंसान हैं या नहीं। आजाद ने कहा हम प्यार से रहकर भी तो वही कर सकते हैं, आचार्य कृपलानी और उनकी पत्नी दिन में अलग पार्टी के लिये काम करते थे, लेकिन रात में मिसेज कृपलानी ही खाना देती थी, वही घर चलाती थीं, लेकिन राजनीतिक पार्टी अलग है, क्या हम ये अपनी पार्टियों के साथ नहीं कर सकते, हम अपनी पार्टियां अपनी-अपनी पार्टी को दे दें, लेकिन शादी-ब्याह, मरने जीने में इकट्ठे हों, एक-दूसरे के घर पर जाएं, क्या हम इकट्ठा होकर ये नहीं कर सकते हैं।

IBNNews Network

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