New Delhi, Aug 30 : यूपी चुनाव में एंटी-नेशनल के तमाशे की धाँसू सफलता को देखते हुए अर्नब ने ‘अर्बन नक्सल’ नाम का शब्द-हथियार बनाया है। कमाल के शब्द-हथियार होते हैं अर्नब के। उधर स्टूडियो में अर्नब अपने शब्द-हथियार चलाते हैं और इधर दशकों से शोषितों के लिए काम कर रही सुधा भारद्वाज बहुत से लोगों की नज़र में देशद्रोही बनकर भीड़ के निशाने पर आ जाती हैं।
मोदी सरकार की असलियत जितनी तेज़ी से सामने आ रही है, एक्टिविस्टों पर सरकार और गोदी मीडिया का शिकंजा उतनी तेज़ी से कसता जा रहा है।
वहीं जिग्नेश मेवाणी, हार्दिक पटेल, चंद्रशेखर आज़ाद जैसे एक्टिविस्ट जब सरकार की ग़लत नीतियों का विरोध करते हैं तो उन्हें हर तरह से परेशान किया जाता है।
असल में सरकार एक्टिविस्टों को इसलिए बदनाम कर रही है ताकि जनता का ध्यान नोटबंदी से हुई बर्बादी, बेरोज़गारी, भुखमरी जैसे मुद्दों से हटाया जा सके।
सरकार और उसके भोंपू चैनल जनता की आवाज़ को दबा नहीं पाएँगे। जनकवि गोरख पांडेय के शब्द याद कीजिए:
“वे डरते हैं
किस चीज़ से डरते हैं वे
तमाम धन-दौलत
गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज के बावजूद ?
वे डरते हैं
कि एक दिन
निहत्थे और ग़रीब लोग
उनसे डरना
बंद कर देंगे”
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