New Delhi, Jan 02 : टीम इंडिया के ऐतिहासिक सेंचुरियन जीत में केएल राहुल की भूमिका खास रही, उन्होने पहली पारी में शतक ठोककर जीत की नींव रखी, जिसे गेंदबाजों ने अंजाम तक पहुंचाया, लेकिन राहुल के लिये वो सब इतना आसान नहीं रहा, 2 साल पहले खराब प्रदर्शन के कारण उन्हें टीम इंडिया से ड्रॉप कर दिया गया था, लेकिन अब वनडे टीम के कप्तान और टेस्ट में उपकप्तान बन गये हैं, आखिर कैसे राहुल का करियर पटरी पर लौटा, कैसे वो अपनी बल्लेबाजी की कमजोरी को दूर करके गेंदबाजों के लिये दोबारा काल बने।
बचपन के दोस्त की भूमिका
केएल राहुल के करियर को पटरी पर लाने में उनके बचपन के दोस्त डेविड मथायस की भूमिका खास रही, डेविड भी कर्नाटक की ओर से फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेल चुके हैं,
राहुल ने फोन का
टीम इंडिया से ड्रॉप होने के बाद केएल राहुल ने एक दिन उन्हें फोन किया, इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में मथायस ने इससे जुड़ा किस्सा बताया, उन्होने कहा कि एक दिन राहुल का उनके पास फोन आया, कि क्या हम आज डिनर के लिये मिल सकते हैं,
बचपन के दोस्त ने पकड़ी बड़ी कमजोरी
राहुल और मथियास ने बंगलुरु एयरपोर्ट के पास एक मैदान में प्रैक्टिस करने का फैसला लिया, यहां उनका एक और दोस्त अपनी क्रिकेट एकेडमी चलाता था, अगले दिन से दोनों ने ट्रेनिंग शुरु कर दी, करीब दो हफ्ते तक दोनों रोज सुबह एकेडमी पहुंचते, घंटों नेट्स पर पसीना बहाते, मथियास को राहुल की बल्लेबाजी में समस्या का पता लगाने में देर नहीं लगी, 2018 में इंग्लैंड में राहुल क्रीज में खड़े होकर ही फ्रंट पैड के चारों तरफ शॉट्स खेलने की कोशिश कर रहे थे, इसी वजह से उन्हें अंदर आने वाली गेंदों के अलावा अपना ऑफ स्टंप समझने में परेशानी हो रही थी, इतना ही नहीं तब गेंद पर उनका बल्ला ज्यादा जोर से आ रहा थे, राहुल की इस गलती को उनके दोस्त ने फौरन पकड़ ली।
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