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इस सीट पर चलता है डकैतों का सिक्का, आतंक से थर्राता था इलाका, सपा आज तक नहीं जीत पाई यहां

सपा की जीत का रथ भले ही 4 बार मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गया, लेकिन बुंदेलखंड की मानिकपुर विधानसभा के आगे उसे हमेशा घुटने टेकने पड़े।

New Delhi, Jan 27 : कहा जाता है कि यूपी में राजनीति की खेती होती है, यहां नेता उगते है, जो बहुत दूर तक राजनीति करते हैं, इसलिये यूपी के चुनाव हों, या यहां के राजनीति किस्से, हर छोटी-बड़ी बात पर सभी की नजर रहती है, यूपी की राजनीतिक किस्सों की सीरीज में आज हम आपको सूबे की एक ऐसी सीट के बारे में बता रहे हैं, जिस पर सपरा लाख कोशिशों के बाद भी कभी जीत नहीं पाई, यहां तक कि यूपी में चार बार सरकार बनाने के भी ये एक सीट फतह कर पाना उसके लिये नामुमकिन ही रहा।

मानिकपुर सीट नहीं कर पाई फतह
सपा की जीत का रथ भले ही 4 बार मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गया, लेकिन बुंदेलखंड की मानिकपुर विधानसभा के आगे उसे हमेशा घुटने टेकने पड़े, यहां तक कि इस सीट को जिताने के लिये उसने डकैतों से नजदीकियां भी बढाई, डकैत के बेटे को टिकट भी दी, लेकिन हासिल कुछ नहीं हुआ, दरअसल एक जमाने में सपा की डकैत ददुआ से नजदीकी रही, इसलिये वो मायावती की आंखों का किरकिरी बन गया, जैसे ही बसपा सुप्रीमो मायावती पावर में आई, तो उन्होने ददुआ का एनकाउंटर करा दिया, बस यहीं से सपा के इस सीट पर बुरे दिन शुरु हो गये, लोगों को लगा कि मायावती ने उन्हें डकैतों से बचा लिया, इसके बाद उन्होने यहां सपा को कभी जीतने ही नहीं दिया।

दशकों तक रहा डकैतों का राज
डकैतों ने मानिकपुर इलाके को 6 दशकों तक आतंक और खून से लाल रखा, गांवों में जाकर जमकर उत्पाद मचाया, डकैतों के इशारे पर प्रधान का चयन होता था, कुल मिलाकर यहां डकैतों का ही राज था, 60 के दशक से ही बुंदेलखंड में डकैतों की गैंग जबरदस्त सक्रिय रही, ये हालात नई सदी शुरु होने के बाद भी जारी रहे,  2007 से स्थिति संभली, फिर चाहे, बात डकैत गया प्रसाद, डकैत ददुआ, डकैत ठोकिया, या डकैत गोरी यादव की हो, जिसमें राजनीति करने के मामले में डकैत ददुआ अव्वल रहा, उसने 2004 लोकसभा चुनावों में सपा के लिये प्रचार तक किया, जिसके बाद ही उसका एनकाउंटर हो गया, इसके बाद एक के बाद एक करके कई डकैत एनकाउंटर्स में मारे गये।

सब जीते लेकिन सपा हारी
मानिकपुर सीट के इतिहास को उठाकर देखें, तो 1952 में कांग्रेस की टिकट पर दर्शन राम जीते, इसके बाद अगले तीन चुनावों में भी कांग्रेस जीती, फिर जनसंघ के उम्मीदवार जीते, बीजेपी भी जीती, बसपा भी जीती, लेकिन सपा हमेशा हारी, 2017 के चुनावों में बीजेपी ने बसपा को हराने के लिये मास्टर प्लान बनाया और बसपा के ही पूर्व विधायक आरके पटेल को टिकट दे दिया, पटेल भारी मतों से चुनाव जीते, 2019 में पटेल के सांसद बनने के बाद उपचुनाव में भी सपा ने इस सीट को जीतने के लिये पूरा ताकत झोंक दी, लेकिन फिर भी खाली हाथ रह गये, फिलहाल यहां से बीजेपी के आनंद शुक्ला विधायक हैं।

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