New Delhi, Jan 27 : कहा जाता है कि यूपी में राजनीति की खेती होती है, यहां नेता उगते है, जो बहुत दूर तक राजनीति करते हैं, इसलिये यूपी के चुनाव हों, या यहां के राजनीति किस्से, हर छोटी-बड़ी बात पर सभी की नजर रहती है, यूपी की राजनीतिक किस्सों की सीरीज में आज हम आपको सूबे की एक ऐसी सीट के बारे में बता रहे हैं, जिस पर सपरा लाख कोशिशों के बाद भी कभी जीत नहीं पाई, यहां तक कि यूपी में चार बार सरकार बनाने के भी ये एक सीट फतह कर पाना उसके लिये नामुमकिन ही रहा।
मानिकपुर सीट नहीं कर पाई फतह
सपा की जीत का रथ भले ही 4 बार मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गया, लेकिन बुंदेलखंड की मानिकपुर विधानसभा के आगे उसे हमेशा घुटने टेकने पड़े, यहां तक कि इस सीट को जिताने के लिये उसने डकैतों से नजदीकियां भी बढाई, डकैत के बेटे को टिकट भी दी,
दशकों तक रहा डकैतों का राज
डकैतों ने मानिकपुर इलाके को 6 दशकों तक आतंक और खून से लाल रखा, गांवों में जाकर जमकर उत्पाद मचाया, डकैतों के इशारे पर प्रधान का चयन होता था, कुल मिलाकर यहां डकैतों का ही राज था, 60 के दशक से ही बुंदेलखंड में डकैतों की गैंग जबरदस्त सक्रिय रही, ये हालात नई सदी शुरु होने के बाद भी जारी रहे,
सब जीते लेकिन सपा हारी
मानिकपुर सीट के इतिहास को उठाकर देखें, तो 1952 में कांग्रेस की टिकट पर दर्शन राम जीते, इसके बाद अगले तीन चुनावों में भी कांग्रेस जीती, फिर जनसंघ के उम्मीदवार जीते, बीजेपी भी जीती, बसपा भी जीती, लेकिन सपा हमेशा हारी,
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