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NATO ने कर दिया वो काम जिसका था यूक्रेन को इंतजार, रूस के लिए मुश्किल बढ़ेगी

रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग के बीच नाटो ने बड़ा ऐलान किया है। जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा, रूस का उद्देश्य यूक्रेन तक सीमित नहीं है । उसे रोकना जरूरी है ।

New Delhi, Feb 26: यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से लगातार NATO के रिस्‍पॉन्‍स की उम्‍मीद की जा रही थी, लेकिन जो बाइडन ने सेनाएं भेजने से इनकार करते हुए सबको चौंका दिया । वहीं नाटो का कदम ना उठाना भी हैरान कर रहा था । लेकिन अब नाटो रिस्‍पॉन्‍स फोर्स भेजने का ऐलान कर चुका है । नाटो चीफ जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनके समकक्ष यूक्रेन पर रूस के हमले के मद्देनजर अपने सहयोगी देशों की रक्षा के लिए सेना की तैनाती पर सहमत हुए हैं ।

तुरंत भेजी जाएंगी टुकडि़या
जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने आगे कहा, नेताओं ने नाटो प्रतिक्रिया बल की कुछ त्वरित तैनात होने वाली टुकड़ियों को भेजने का फैसला किया है । इस कदम में जमीनी, समुद्री और वायु शक्ति शामिल है । जानकारों के मुताबिक नाटो की ओर से ये कदम रूस के रोमानिया में एक जहाज पर हमले के बाद ये कदम उठाया जा रहा है । दरअसल, रोमानिया नाटो का सदस्य है । इस हमले के बाद रूस का मकसद भी स्‍पष्‍ट हो रहा है ।

रूस को रोकना जरूरी है
जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने संभावना जताते हुए कहा, रूस का उद्देश्य यूक्रेन तक सीमित नहीं है. ऐसे में सहयोगी देशों में जमीन पर, समुद्र और हवा में नाटो रिस्पांस फोर्स की टुकड़ियों को तैनात करने का फैसला किया गया है । स्टोलटेनबर्ग ने कहा, यूक्रेन पर रूस का हमला यूक्रेन पर हमले से कहीं ज्यादा है । यह यूक्रेन में निर्दोष लोगों पर एक विनाशकारी भयानक हमला तो है ही, लेकिन यह पूरे यूरोपीय सुरक्षा व्यवस्था पर भी हमला है, और यही कारण है कि हम इसे इतनी गंभीरता से ले रहे हैं।

यूक्रेन की बहादुरी की तारीफ
नाटो चीफ ने आगे कहा, रूस का लक्ष्य यूक्रेन की सरकार को बदलना है । मैं यूक्रेन के सशस्त्र बलों के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करूंगा, जो वास्तव में बहुत बड़ी हमलावर रूसी सेना के खिलाफ लड़कर और खड़े होकर अपनी बहादुरी और साहस साबित कर रहे हैं ।
दरअसल यूक्रेन पर रूस के हमले ने पड़ोसी देशों को भी डरा दिया है । पड़ोसी देश रोमानिया, पोलैंड, लातविया, एस्टोनिया सब अलर्ट पर हैं । इन सभी देशों में इमरजेंसी का ऐलान कर दिया गया है और सेना किसी भी हमले का सामना करने के लिए तैयार रखी गई है । दरअसल ये सभी देश नाटो के मेंबर बन चुके हैं और रूस की आंखों में लगातार खटकते रहे हैं । रूस नाटो देशों के खिलाफ खड़ा होकर सोवियत संघ के पुराने प्रभाव वाले इलाकों में फिर वर्चस्व स्थापित करना चाहता है ।

IBNNews Network

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