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परीक्षाओं में कदाचार रोकने के लिए नोडल एजेंसी जरूरी, कम से कम बिहार में सबसे पहले बने

माफिया-नेता-अफसर गठजोड़ की तरह ही एक देशव्यापी ताकतवर व शातिर गठजोड़ बिहार सहित देश भर की परीक्षाओं में चोरी करवाने के काम में निधड़क संलिप्त है।

New Delhi, Sep 22 : माफिया-नेता-अफसर गंठजोड़ पर वोहरा समिति की रपट 1993 में आई थी। उस रपट में समिति ने केंद्र सरकार को एक महत्वपूर्ण सलाह दी थी। सलाह यह थी कि गृह मंत्रालय के तहत एक नोडल एजेंसी बननी चाहिए। देश में जो भी गलत काम हो रहे हैं ,उनकी सूचना वह एजेंसी एकत्र करे। ऐसी व्यवस्था की जाए ताकि सूचनाएं लीक नहीं हों। क्योंकि सूचनाएं लीक होने से राजनीतिक दबाव पड़ने लगता हैं। इससे ताकतवर लोगों के खिलाफ कार्रवाई खतरे में पड़ जाती है।
वोहरा समिति की सिफारिश को तो लागू नहीं किया गया। नतीजतन उसका खामियाजा यह देश आज भी भुगत रहा है।

पर कम से कम इसी तरह की एक गंभीर समस्या से लड़ने के लिए नोडल एजेंसी बननी चाहिए। कम से कम बिहार में पहले बने। माफिया-नेता-अफसर गंठजोड़ की तरह ही एक देशव्यापी ताकतवर व शातिर गठजोड़ बिहार सहित देश भर की परीक्षाओं में चोरी करवाने के काम में निधड़क संलिप्त है।
अपवादों को छोड़ दें तो आज शायद ही किसी बड़ी या छोटी परीक्षा की पवित्रता बरकरार है। चाहे मेडिकल, इंजीनियरिंग कालेजों में दाखिले के लिए परीक्षाएं हो रही हों या छोटी -बड़ी नौकरियों के लिए। सामान्य परीक्षाओं का तो कचरा बना दिया गया है। अपवादों की बात और है। कदाचार परीक्षाओं का अनिवार्य अंग है।

उसकी रोक थाम के लिए एक ताकतवर नोडल एजेंसी तो बननी ही चाहिए। एजेंसी हर परीक्षा की निगरानी करे। एजेंसी का अपना खुफिया तंत्र हो। साथ में अर्ध सैनिक बल भी। सामान्य दिनों में भी एजेंसी सक्रिय रहे। एजेंसी के पास अपना धावा दल हो। इस पर जो भी खर्च आएगा,वह व्यर्थ नहीं जाएगा। कल्पना कीजिए कि चोरी से पास करके कोई व्यक्ति सरकारी,अफसर,डाक्टर या इंजीनियर बन जाए। वैसे अयोग्य लोग जहां भी तैनात होंगे तो वे निर्माण योजनाओं और मानव संसाधन को नुकसान ही तो पहुंचाएंगे। उस भारी नुकसान को बचाने के लिए किसी ताकतवर व सुसज्जित नोडल एजेंसी पर होने वाले खर्चे का बोझ उठाया जा सकता है।

आए दिन यह खबर आती रहती है कि परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा के समय सी.सी.टी.वी.कैमरा काम ही नहीं कर रहे थे। कहीं जैमर बंद थे तो कहीं से गार्ड गायब।कहीं परीक्षा केंद्र के आसपास अवांछित तत्वों का जमावड़ा है। कहीं ठीक से र्गािर्डंग नहीं हो रही है तो कहीं मोबाइल लेकर परीक्षार्थी हाॅल में चले जा रहे हैं। नोडल एजेंसी के धावा दल परीक्षा केद्रों पर छापा मार कर उस बिगड़ी स्थिति को संभाल सकते हैं। मान लीजिए कि राज्य में प्रतियोगिता परीक्षाएं सौ केंद्रों में हो रही हैं। उनमें से दस केंद्रों पर भी नोडल एजेंसी के धावा दल अचानक पहुंच जाएं तो बाकी नब्बे केंद्रों पर भी हड़कंप मच जाएगा। क्योंकि तब तक सचेत करने के लिए मोबाइल फोन अपना कमाल दिखा चुके होंगे।

(वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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