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कचरा बीनने वाले के बेटे को राहुल गांधी ने लेटर लिखकर कहा Best of Luck, ये है पूरी कहानी

सफलता सुविधा संपन्‍न लोगों को ही मिले ये जरूरी नहीं, देवास के एक युवक ने अपनी मेहनत से सबको हैरान कर दिया है । कचरा बीने वाले का बेटा होकर वो कर दिखाया जो ये साबित करता है कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं ।

New Delhi, Jul 23 : हम में से ज्‍यादातर लोग अपनी वर्तमान माली स्थिति से परेशान रहते हैं । ये नहीं है, वो नहीं है, ऐसा चाहिए था , वैसा चाहिए । इन सब नकारात्‍मक चीजों को सोचते-सोचते उन बातों से भी मरहूम हो जाते हैं जो हमे आगे बढ़ने देने के लिए प्रेरित करती हैं । लेकिन सारी बाधाओं विपदाओं को पार कर देवास के एक युवक ने कमाल कर दिया । कचरा बीनने वाले के घर पैदा होने वाला ये लड़का अब डॉक्‍टर बनने जा रहा है ।

देवास के युवक का कमाल
पढ़ने लिखने में अच्‍छे आशाराम चौधरी ने ये साबित कर दिया है कि प्रतिभा सुख सुविधाओं की मोहताज नहीं होती है । देवास के पास के छोटे से गांव विजयागंज मंडी में रहने वाले इस युवक ने दो महीने पहले एम्‍स की प्रवेश परीक्षा में अपनी जगह बनाई है । पिता कचरे से पन्‍नी और खाली बोतलें बेचकर उसे पढ़तो रहे और आज उसने उनकी मेहनत को साकार कर दिखाया ।

ये आई है रैंक
आशाराम ने दो महीने पहले हुई ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) की प्रवेश परीक्षा में साढ़े चार लाख परीक्षार्थियों के बीच 707th रैंक ऑल इंडिया और ओबीसी कैटेगरी के दो लाख अभ्यर्थियों के बीच 141th रैंक हासिल की है। आशाराम ने जोधपुर एम्स में एमबीबीएस में एडमिशन लिया है। 23 जुलाई से उनकी क्लासेस शुरू होंगी।

राहुल गांधी ने की प्रशांसा
आशाराम चौधरी की दस सफलता पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने लेटर लिखकर उन्हें बधाई देते हुए बेस्ट ऑफ लक कहा है । आशाराम की मेहनत रंग लाई और इसके लिए वो अपने उस पिता को धन्‍यवाद करता है जिन्‍होने नितांत गरीबी के बावजूद अपने बच्‍चे को पढ़ाया लिखाया । कोशिश की, कि जो काम वो कर रहे हैं वो उनके बेटे को ना करना पड़े । झोपड़ी में रहकर भी बेटे को ऊंचे सपने देखने का मौका दिया ।

झोपड़ी में रहकर देखा डॉक्‍टर बनने का सपना
देवास से 40 किमी दूर विजयागंज मंडी में रंजीत चौधरी और ममता बाई के घर साल 2000 में आशाराम का जन्म हुआ । घर के नाम पर इसपरिवार के पास एक झोपड़ी भर है । जमीन है नहीं तो पिता रंजीत कूड़े से पन्नी और खाली बोतलें बीनने के अलावा कभी-कभी दूसरों के लिए मजदूरी भी करते हैं । मां भी सामान्‍य गृहिणी हैं ।

पिता के लिए सब सपने जैसा
आशाराम की सफलता पर पिता रंजीत कहते हैं कि मेरे लिए तो यह सब सपने जैसा है, क्योंकि इतना तो मैंने कभी सोचा भी नहीं था। मां ममता बाई ने बेटे की सफलता का श्रेय उसकी मेहनत को दिया । आशाराम की पढ़ाई भी  गांव के सरकारी स्कूल में हुई है । दसवीं तक पढ़ाई के बाद उसके मेधावी होने के कारण उसे स्‍कॉलरशिप मिल गई । इसी साल मई में आशाराम एम्स की प्रवेश परीक्षा में सेलेक्‍ट हो गया ।

IBNNews Network

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