New Delhi, Aug 11 : अरुण शौरी बोफोर्स डील में हुई गड़बड़ियों को लेकर जितने मुखर थे, वैसी ही आवाज़ में वे राफेल सौदे पर भी बोल रहे हैं। तब शौरी के हर बयान को अखबारों ने हाथो-हाथ लपका था। राजीव सरकार से रोजाना दस सवाल पूछने वाले राम जेठमलानी के सवाल भारत के लगभग हर अखबार में छपा करते थे। लेकिन राफेल मामले का कवरेज? बचपन की धुंधली स्मृतियों में दीवारों पर लगे राजीव गांधी के पोस्टर अब भी याद हैं, जिन पर बड़े-बड़े अक्षरों `चोर’ लिखा होता था।
बोफोर्स में राजीव गांधी की सीधी संलिप्पता का मामला कहीं से भी नहीं था। इसके बावजूद सिर्फ एक इल्जाम ने उनकी मिस्टर क्लीन इमेज को धो दिया और लोकसभा में उनकी सीटें आधी रह गईं।
राफेल में इल्जाम क्या है, यह कोई भी आंख वाला देख सकता है, अगर देखना चाहे।
यशवंत सिन्हा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि बोफोर्स बनी संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष और कांग्रेस नेता रामनिवास मिर्धा को अपने विपक्षी सहयोगियों पर इस कदर भरोसा था कि उन्होने सबको रिपोर्ट के अलग-अलग चैप्टर लिखने का काम दे रखा था।
संयुक्त संसदीय समिति के गठन की बात तो छोड़िये सरकार इस मुद्धे पर संसद में चर्चा तक को तैयार नहीं है। संसदीय लोकतंत्र में संसद सर्वोपरि होती है, कहां है संसद की सर्वोच्चता?
बोफोर्स से लेकर राफेल तक आया बदलाव दरअसल भारतीय राजनीतिक संस्कृति और समाज में आया बदलाव है। बीजेपी वोटरो को एक बहुत बड़ा ढोल ताशे बजा रहा है।
महाबली अपना सीधा मुकाबला नेहरू से मानते हैं। लेकिन सच यह है कि इस तरह के आचरण से वे सात जन्म लेकर राजीव गांधी भी नहीं बन सकते।
कैसर कॉरपोरेशन लिमिटेड के शेयर प्राइस पैटर्न के अनुसार अगर किसी निवेशक के इस शेयर…
दूसरे कार्यकाल में यूपी पुलिस ने माफिया को चिन्हित करने की संख्या भी बढा दी,…
प्रदीप गवांडे राजस्थान पुरातत्व विभाग में डायरेक्टर हैं, वहीं टीना डाबी राजस्थान सरकार में संयुक्त…
आय के नए रास्ते खुल रहे हैं, अवसर का लाभ उठाएं ।मित्रों और सगे- सम्बंधियों…
इस तस्वीर में त्रिधा चौधरी ब्रालेस तो है, ही साथ ही बोल्ड कपड़े पहने नजर…
अंशुला के इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि वो अपनी वन पीस ड्रेस…