New Delhi, Nov 20: पंजाब के बीजेपी नेताओं की गृह मंत्री अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद केंद्र सरकार ने करतारपुर कॉरिडोर खोलने का ऐलान किया था। गुरु नानक जयंती से पहले कॉरिडोर खोलने और अब प्रकाश पर्व के मौके पर कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद बीजेपी की ओर से पंजाब को एक बड़ा संदेश दिया गाया है । अकाली दल के साथ 2017 तक पंजाब की सत्ता में रही बीजेपी, राज्य में कभी भी बहुत बड़ी ताकत नहीं रही है । किसान आंदोलन के बाद से तो स्थिति और उनके खिलाफ हो गई थी । अकाली दल तक ने 24 साल पुराने गठबंधन को दरकिनार कर काले कानून का विरोध किया था । लेकिन अब पंजाब में सत्ता का गेम बदलता नजर आने लगा है ।
अमरिंदर सिंह भी हो सकते हैं साथ
कृषि कानूनों की वापसी के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह का साथ भी बीजेपी को मिल सकता है, जिके संकेत कैप्टन पहले से ही दे रहे हैं । बीजेपी के लिए पंजाब के पूर्व सीएम का साथ सोने पर सुहागा हो सकता है । कांग्रेस छोड़कर नई पार्टी बनाने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह का राज्य में दबदबा कौन नहीं जानता, वहीं कांग्रेस की खामियां – नब्ज समझना भी उनके लिए बड़ी बात नहीं । कैप्टन अमरिंदर ने कल ट्वीट कर कृषि कानून रद्द करने की घोषणा को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद किया। अपने ट्वीट में इसे बड़ी खबर बताते हुए गुरू नानक जयंती के अवसर पर पंजाबवासियों की बात मानकर कृषि कानून रद्द करने को लेकर प्रधानमंत्री के प्रति आभार जताया। वहीं दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा कि वह पिछले एक साल से केंद्र से यह मामला उठा रहे थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृह मंत्री अमित शाह से अन्नदाताओं की आवाज सुनने का अनुरोध कर रहे थे।
भाजपा के कैप्टन बनेंगे ?
पंजाब में अकाली दल अब क्या रुख करती है इसका इंतजार सबको है लेकिन उससे पहले कैप्टन के तेवर बीजेपी के लिए अब एकदम नर्म जरूर हो गए हैं । कृषि कानूनों के विरोध के कारण ही अमरिंदर कुछ भी खुलकर नहीं बोल पा रहे थे, लेकिन अब बीजेपी के साथ काम करने का रास्ता साफ है । पूर्व मुख्यमंत्री ने किसानों के विकास के लिए भविष्य में भाजपा के साथ मिलकर काम करने की आशा जताई है। उन्होंने कहा कि मैं पंजाबवासियों से वादा करता हूं कि मैं तब तक चैन से नहीं बैठूंगा जब तक हर आंख का हर आंसू नहीं पोंछ देता। संकेत स्पष्ट हैं कि भाजपा के लिए अमरिंदर सिंह विधानसभा चुनाव में कैप्टन की भूमिका अदा कर सकते हैं। हालांकि चुनाव में वो अपनी पार्टी से लड़ेंगे, सीट शेयरिंग करेंगे या कोई और रणनीति के साथ सामने आएंगे इसके बारे में कु कहा नहीं जा सकता ।
एनडीए में अकाली दल की वापसी संभव
वहीं कृषि कानूनों से नाराज होकर भाजपा का साथ छोड़ने वाला अकाली दल भी एक बार फिर से एनडीए का हिस्सा बन सकता है। बीजेपी ने एक
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