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बिहार दशकों से शिक्षा में सुधार के लिये छटपटाता रहा है, अब अच्छे संकेत मिल रहे हैं

बिहार – विश्व विद्यालय शिक्षा को ठीकठाक करने में भी राज्य सरकार की सहायक भूमिका तो बनती ही है,पर मुख्य भूमिका राज्यपाल सह चांसलर की ही है।

New Delhi, Sep 22 : बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन ने दैनिक हिन्दुस्तान से बातचीत में कहा है कि ‘विश्व विद्यालय ठीक से चलें, यह अधिकार और जिम्मेदारी मेरे पास है।’ संभवतः पहली बार किसी चांसलर ने ऐसी बात साफ-साफ सार्वजनिक रूप से कह दी है। इस तरह टंडन साहब ने एक जिम्मेदार चांसलर के रूप में अपनी भूमिका निर्धारित कर ली है। यह बिहार का सौभाग्य है। बिहार शिक्षा में सुधार के लिए दशकों से छटपटाता रहा है। अब अच्छे संकेत मिल रहे हैं। अब जरूरत इस बात की है कि सभी पक्ष चांसलर साहब को सहयोग करें और उनका मानोबल बढ़ाएं।

टंडन साहब की इस उक्ति के दो साल के बाद उनसे कोई यह पूछने की स्थिति में होगा कि आपको सफलता मिली तो कैसे ? यदि नहीं मिली तो उसके लिए कौन-कौन जिम्मेदार रहे ? आप खुद कितना जिम्मेदार हैं ? इससे पहले अनेक लोगों में यह आम धारण रही है कि यदि विश्वद्यिालय शिक्षा का भी बंटाढार होता रहा है तो उसके लिए भी राज्य की राजनीतिक कार्य पालिका ही जिम्मेदार है। यह बात सही है कि प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा की दुर्दशा के लिए राज्य सरकार को आप जिम्मेदार ठहरा ही सकते हैं। हालांकि विश्व विद्यालय शिक्षा को ठीकठाक करने में भी राज्य सरकार की सहायक भूमिका तो बनती ही है,पर मुख्य भूमिका राज्यपाल सह चांसलर की ही है।

अपनी भूमिका नहीं निभाने के मामले में एक पूर्व राज्यपाल देवानंद कुंवर अब तक टाॅप पर रहे हैं।
विश्व विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई नहीं होगी तो फिर माध्यमिक व प्राथमिक स्कूलों के लिए अच्छे शिक्षक उपलब्ध कहां से होंगे ? पिछले राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने यहां के बीएड काॅलेजों को सही रास्ते पर लाने की पहल करके सही दिशा में काम शुरू किया था। अपने वायदे के अनुसार उसी काम को मौजूदा राज्यपाल आगे बढ़ा रहे हैं। यह अच्छी खबर है कि सुप्रीम कोर्ट ने उन प्रायवेट बीएड कालेजों के प्रबंधनों की याचिका को खारिज कर दिया जो मनमाने ढंग से पहले ही जैसा दाखिला करना चाहते थे। बीएड में दाखिले के लिए हाल में आयोजित संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा में उत्तीर्ण उम्मीदवारों का वे अपने यहां नामांकन नहीं करना चाहते थे। कारण सबको मालूम है।

अब जरा एक पिछले राज्य देवानंद कुंवर @ 2009-2013@पर नजर डाल लीजिए। जब कुंवर जी बिहार विधान मंडल के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित कर रहे थे तो कांग्रेस की ही विधान पार्षद ज्योति ने अपनी ऊंची आवाज में सदन में ही राज्यपाल से पूछ दिया कि ‘आजकल आपके यहां वी.सी.का क्या रेट चल रहा है ?’ इतना नहीं देवानंद जी अक्सर अनधिकृत ढंग से पटना से बाहर रहते थे। 2011-12 में वे 365 में से 154 दिन बिहार से बाहर रहे और उनके प्रवास पर 7 लाख 81 हजार रुपए खर्च हुए। वे साल में सिर्फ दो बार अपने गृह राज्य जा सकते थे।पर 2011-12 में कुंवर जी 12 बार गए। आदि आदि……।

(वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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