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बिहार : मनिआर्डर इकाॅनोमी से स्वावलंबन की ओर सारण

सारण जिले की ओर सरकार व जन प्रतिनिधियों का ध्यान गया है तो वह अकारण नहीं है। किन्हीं खास जिलों को अत्यंत पिछड़ा छोड़कर आप पूरे राज्य को विकसित नहीं बना सकते।

New Delhi, Jul 16 : एक चर्चित कहावत है। अमेरिका ने सड़कें बनायीं और सड़कों ने अमेरिका को बना दिया। इस कहावत से सड़कों के महत्व का पता चलता है। इधर बिहार के सारण जिले में सड़कों के साथ- साथ पुल और फ्लाई ओवर भी बन रहे हैं। वह भी ऐसा -वैसा फ्लाई ओवर नहीं। बल्कि, डबल डेकर यानी दो मंजिला फ्लाई ओवर। वह छपरा शहर में बनेगा। इसी बुधवार को उसका शिलान्यास हो गया।

उस अवसर पर मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की है कि गंगा नदी पर दाना पुर से दिघवारा तक एक नया पुल भी बनेगा। किसी ठोस शुरूआत के बिना मुख्य मंत्री ऐसी घोषणा नहीं करते। इसलिए सारण के लोग यह समझ कर खुश हंै कि यह पुल बनेगा जरूर । यानी प्रस्तावित दाना पुर-दिघवारा गंगा पुल पर काम भी जल्द ही शुरू हो जाएगा। उम्मीद है कि सरकार लोगों की इस उम्मीद को जल्द ही पूरा करेगी। वह प्रस्तावित पुल पटना महा नगर को सारण जिले से जोड़ने वाला दूसरा गंगा पुल होगा।
पहला पुल जेपी सेतु हाल ही में बन कर तैयार हुआ है। वह चालू है। उसका लाभ लोगों को मिलने लगा है। गांधी सेतु भी बहुत दूर नहीं है।

उधर बबुरा-डोरी गंज गंगा पुल ने भी भोज पुर और सारण के बीच की दूरी घटा दी है। सारण में मढ़ौरा और दरिया पुर के रेल कारखाने ने भी वहां के लोगों की उम्मीदें बढ़ाई हंै। पर सबसे अधिक लाभ प्रस्तावित दाना पुर-दिघवारा पुल से होने की उम्मीद है। इससे गंगा के उत्तर में उप नगर विकसित होने की उम्मीद बढ़ी है। यमुना पार की तरह। अविभाजित सारण जिले को कभी मनी आर्डर इकाॅनोमी वाला जिला कहा जाता था। यानी देश के किसी भी जिले की अपेक्षा सारण के लोगों को बाहर से सबसे अधिक मनिआर्डर मिलते थे। बाहर कमाने गए उनके परिजन उन्हें भेजते थे। यानी कम जमीन और सघन आबादी वाले इस जिले से काम की तलाश में बहुत सारे लोग बाहर चले जाते रहे हैं। आज भी जाते हैं।

यदि सारण जिले की ओर सरकार व जन प्रतिनिधियों का ध्यान गया है तो वह अकारण नहीं है। किन्हीं खास जिलों को अत्यंत पिछड़ा छोड़कर आप पूरे राज्य को विकसित नहीं बना सकते। सारण जिला लालू प्रसाद का भी राजनीतिक क्षेत्र रहा है। वे वहां से सांसद व विधायक हुआ करते थे। सन 1990 में जब वे मुख्य मंत्री बने तो उन्होंने इस जिले को पूर्ण रोजगार मुक्त जिला बनाने
के अपने निर्णय की घोषणा की। आवेदन मांगे गये। लाखों आवेदन आए। उन आवेदनों पर कोई निर्णय हो, उस बीच मंडल आरक्षण आंदोलन शुरू हो गया। फिर तो उस सरकार की कार्य शैली व प्राथमिकता ही बदल गयी। हालांकि बाद में रेल मंत्री के रूप लालू प्रसाद ने मढ़ौड़ा और दरिया पुर में रेल कारखाने की स्थापना करके कुछ शुरूआत की। वैसे उन पर ठोस काम हाल में ही हो सका। कुल मिला कर अब यह उम्मीद की जा सकती है कि एक पिछड़े इलाके का विकास अब तेज होगा।

( वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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