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किसकी हिम्मत है, जो मोदी से बात करे ?

उन्होंने मुझसे कहा कि आप मोदी से बात करें। किसकी हिम्मत है और किसमें कूव्वत है कि मोदी से बात करे ?

New Delhi, Jul 10 : आज मैं हरिद्वार में हूं। कल मुझे एक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का उद्घाटन करना है। आज दो महत्वपूर्ण काम यहां हुए। एक तो सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा द्वारा आयोजित ‘अन्तरराष्ट्रीय गुरुकुल महासम्मेलन’ में भाषण हुआ और दूसरा, गंगा की सफाई को लेकर आमरण अनशन कर रहे स्वामी सानंदजी से भेंट हुई। गुरुकुल सम्मेलन में देश भर के आर्यसमाजी विद्वान इकट्ठे हुए और कुछ नेतागण भी आए, जिनमें बिहार के राज्यपाल श्री सत्यपाल मलिक प्रमुख थे। पिछले 60-65 साल में मैंने इतना भव्य आयोजन पहले नहीं देखा !

इसके आयोजक स्वामी आर्यवेश हैं । श्री मलिक और स्वामी अग्निवेशजी ने अपने भाषण में संस्कार, संस्कृत और संस्कृति की रक्षा के लिए गुरुकुल प्रणाली की शिक्षा पर बल दिया और यह भी कहा कि आर्यसमाज नहीं होता तो गुरुकुल प्रणाली की शिक्षा ही समाप्त हो जाती। मैंने कहा कि गुरुकुल से पढ़े ब्रह्मचारी रामदेवजी ने देश में जो चमत्कार किया है, क्या कोई विश्वविद्यालय का स्नातक कर सका ? लेकिन गुरुकुल प्रणाली की शिक्षा ऐसी आधुनिकतापूर्ण होनी चाहिए कि जिसे पाने के लिए देश के सर्वाधिक संपन्न और सबल लोगों के बच्चे भी लार टपकाते रहें। अभी तो गुरुकुल सिर्फ गरीबों, ग्रामीणों, पिछड़ों और वंचितों के बच्चों के शरण-स्थल बन गए हैं।

ऐसा इसलिए हुआ कि गुरुकुलों द्वारा शिक्षा की नींव तो हम भर रहे हैं लेकिन उस नींव पर हमने आज तक एक भी भवन खड़ा नहीं किया। हमारे गुरुकुलों में आधुनिक शिक्षा भी भरपूर होनी चाहिए। ताकि उनके स्नातकों को बड़े से बड़े रोजगार मिलें, उनके अनुसंधानों से सारी दुनिया चमत्कृत हो जाए और भारत के ही नहीं, विश्व के सबल और संपन्न लोग अपने बच्चों को हमारे गुरुकुलों में पढ़ाने के लिए आवेदन करें। हमारे गुरुकुलों में कृष्ण और सुदामा साथ पढ़ें। ये गुरुकुल सभी धर्मों, जातियों और संप्रदायों के लिए अपने द्वार खोल दें।

स्वामी सानंद ने पांच-छह साल पहले भी गंगा की सफाई के लिए अनशन किया था। जलपुरुष राजेंद्र सिंह इनसे मिलाने मुझे रुद्रप्रयाग ले गए थे। तब पुलिस ने हमें गिरफ्तार कर लिया था। आज स्वामी अग्निवेशजी और मैं उनसे मिले। अभी फिर वे अनशन पर बैठे हैं। उनका कहना है कि गंगा की सफाई के लिए सरकार उचित कानून बनाए और प्रधानमंत्री मुझे लिखित आश्वासन दें तो मैं अनशन तोड़ सकता हूं। वरना यहां से मेरी लाश ही उठेगी। उन्होंने मोदी को दो पत्र लिखे लेकिन कोई जवाब नहीं आया। उन्होंने मुझसे कहा कि आप मोदी से बात करें। किसकी हिम्मत है और किसमें कूव्वत है कि मोदी से बात करे ?

(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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