New Delhi, Aug 16 : आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में कुल मिलाकर 2091 राजनीतिक पार्टियां हमारे चुनाव आयोग में पंजीकृत हैं। जिस देश में लगभग 2100 पार्टियां हों, उसका लोकतंत्र कितना सबल और संपन्न होगा, इसका आप अंदाज लगा सकते हैं। यदि कोई पार्टी है तो उसके कुछ सदस्य भी होंगे, उसके कुछ नेता भी होंगे, उसके कुछ सिद्धांत और कार्यक्रम भी होंगे, उसके पास संगठन को चलाने के लिए पैसा भी होगा।
इसका अर्थ यह भी हुआ कि इस देश में विचारों की आजादी का भरपूर उपयोग हो रहा है। जो चाहे, सो अपनी पार्टी बना सकता है, अपने विचारों का प्रचार कर सकता है और चुनाव लड़कर सत्ता में भी आ सकता है। लेकिन ये हाथी के दांत हैं।
ऐसी पार्टियों से जुड़े कुछ लोगों ने मुझे बताया कि इन्हें पंजीकृत कराने के पीछे तरह-तरह की तिकड़में होती हैं। कई लोग अपने नाम के आगे कोई उपाधि जोड़ने के लिए इतने बेताब होते हैं कि वे इस सरल रास्ते को अपना लेते हैं।
इतना सरल है कि आपके पास सिर्फ 10 हजार रु. हों और सौ मतदाताओं के दस्तखत हों तो आप अपनी पार्टी को पंजीकृत करवा सकते हैं। आजकल चुनाव का मौसम है। पिछले 44 दिन में 22 पार्टियों का चुनाव आयोग में रजिस्ट्रेशन हो गया है। ऐसी पार्टियों के कुछ ‘नेताओं’ ने मुझे बताया कि वे अपनी पार्टी के कोश में लाखों-करोड़ों का चंदा लेकर काले धन को सफेद कर लेते हैं। उनके किसी सदस्य ने कभी चुनाव भी नहीं लड़ा। वे सिर्फ कागजी पार्टियां हैं। वे भ्रष्टाचार के अलावा कुछ नहीं करतीं। मान्यता-प्राप्त पार्टियां भी जमकर काले धन का इस्तेमाल करती हैं लेकिन वे अपनी राजनीतिक भूमिका निभाने में कोई कोताही नहीं करतीं। चुनाव आयोग को पंजीकरण की शर्तें इतनी कठोर कर देनी चाहिए कि फर्जी पार्टियां सिर भी न उठा सकें।
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