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विवेक तिवारी – यूपी में बेलगाम होती ‘मित्र’ पुलिस के लिये जिम्मेदार कौन ?

विवेक तिवारी केस – यदि पुलिस द्वारा कार रोके जाने पर कार नही रुकी थी तो गोली चलाने का अधिकार कौन से कानून में दिया गया है?

New Delhi, Oct 02 : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एप्पल कंपनी के सेल्स मैनेजर की यूपी पुलिस के जवान द्वारा चली गोली से हत्या के मामले में पूरा सिस्टम शक के घेरे में आ गया है। प्रदेश के पुलिस मुखिया का बयान कि दोनों सिपाहियों को गिरफ्त में ले लिया गया है और उसके ठीक बाद आरोपी पुलिसकर्मी द्वारा अपनी पुलिसकर्मी पत्नी के साथ मीडिया के सामने आकर ये बयान देना कि पुलिस उनकी सुन नही रही है और उनकी और से मुकदमा कायम नही किया जा रहा है। ये सब घटनाक्रम पुलिसकर्मी द्वारा किसी मनघडंत कहानी के आधार पर एक फर्जी मुकदमा कायम कराने की तैयारी भर लग रही है।

सवाल ये है कि यदि ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों को रात में चल रही कार के अंदर कोई भी संदिग्ध गतिविधी लग रही थी तो उनके पास कार को रुकवाने के बहुत से ऑप्शन थे। ऐसी क्या वजह रही कि अचानक से उन्हें गोली चलाने जैसा बड़ा निर्णय लेना पड़ा? क्या कार में सवार लोग कोई इनामी मुजरिम थे? या उनके पास अत्याधुनिक हथियार थे जिनसे बचने के लिए पुलिस वालो को गोली चलानी पड़ी?

रामराज्य का दावा करने वाले योगी आदित्यनाथ जी की सरकार में क्या एक आम शहरी को रात में खुलेआम सड़क पर चलने का अधिकार नहीं? यदि पुलिस द्वारा कार रोके जाने पर कार नही रुकी थी तो गोली चलाने का अधिकार कौन से कानून में दिया गया है? आयेदिन होने वाली वाहन चेकिंग के दौरान दिन दहाड़े बहुत से वाहन चालक पुलिस के द्वारा रोकने का इशारा करने के बाद भी अपना वाहन आगे बढ़ा ले जाते है, लेकिन कभी किसी पुलिसकर्मी ने गोली नही चलाई।

लखनऊ के मामले में एक बात ये भी सोचने वाली है कि मोबाइल कंपनी के मैनेजर अपनी सहकर्मी को अपनी जिम्मेदारी पर उसके घर छोड़ने जा रहे थे और रात में अनजान लोगों द्वारा कार रुकवाने की वजह से उन्होंने इस बात को अपनी महिला सहकर्मी की सुरक्षा पर खतरा महसूस किया हो और इस वजह से कार नही रोकी हो। लेकिन उन्हें इस बात का अंदाजा शायद कतई नहीं रहा होगा कि कार न रोकना उनके लिए जानलेवा हो जाएगा।

इस मामले पर सब राजनैतिक पार्टियों के नेताओं के बयान आ रहे है, लेकिन शोक संतप्त परिवार की पीड़ा को केवल वही लोग समझ सकते है। जरा सोचिये उस छोटी सी बेटी के बारे में जिसकी फोटो आपने और हमने मीडिया के माध्यम से देखी है, उस नन्ही सी जान का क्या कसूर था? जो उसको अपने प्यारे पापा से हमेशा के लिए जुदा होना पड़ा। एक बिना बाप की बेटी का पूरा जीवन कितने संघर्षो के साथ आगे बढ़ेगा ये सब सोचकर ही रुह कांप जाती है। इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराकर आरोपियों को न्यायोचित सज़ा दी जानी बहुत जरूरी है। जिससे वर्दीधारी गुंडे आम जनता के साथ जानलेवा हमला करने के बजाय मित्रवत व्यवहार करें और उनकी उपस्थिति में आम जनता खुद को सुरक्षित महसूस कर सके।
लखनऊ की निंदनीय घटना के बाद आम जनता का पुलिस से भरोसा उठा है। इस भरोसे को वापस लाने के लिए प्रदेश अध्यक्ष को भी सामने आना होगा और दोषियों के खिलाफ निष्पक्ष कार्यवाही करते हुए पीड़ित परिवार को न्याय दिया जाना चाहिए।

(पत्रकार गौरव जैन के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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