New Delhi, May 22 : अमरेली जिला वैसे तो पिछड़ा माना जा रहा है, लेकिन इस इलाके के कई लोग सूरत, अहमदाबाद और मुंबई जैसे शहरों में जाकर बस गये। उनमें से कुछ लोगों ने नाम और पैसा कमा लिया है। कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो अपने गांव के माटी का कर्ज चुकाना नहीं भूलते। तभी तो तीस साल बाद माणेक भाई लाठिया अपने परिवार के साथ अपनी जन्मभूमि पर पहुंचे, तो उस मिट्टी का कर्ज उतारने की कोशिश की है। उनकी खूब चर्चा हो रही है।
परिवार के साथ गांव पहुंचे
माणेक भाई लाठिया अपने परिवार के साथ अपने मूल गांव भींगराड पहुंचे। गांव की स्थिति देख उनकी बेटी ने कहा कि गांव के लोग गरीब हैं,
सूरत हो गये थे शिफ्ट
अमरेली का भींगराड गांव ऐसे तो पिछड़ा माना जाता है, यहां मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है, गांव के अधिकांश लोग गरीब हैं,
बेटी ने कहा कुछ तो करो
माणेक भाई लाठिया पिछले तीस साल से अपने गांव नहीं आ पाये थे, इस बार वो अपने परिवार के साथ गांव पहुंचे,
माटी का कर्ज अदा किया
जब माणेक भाई लाठिया से पूछा गया कि जब वो उस गांव में नहीं रहते हैं, तो फिर उस गांव के विकास के लिये इतनी बड़ी राशि क्यों दान किया,
काम की शुरुआत दलित इलाके से
माणेक भाई लाठिया ने अपनी जन्मभूमि के विकास का संकल्प लिया है, वो अपने गांव में अस्पताल, स्कूल,
तालाब को किया गया गहरा
गांव में सबसे पहले अंबेडकर भवन को ठीक किया गया, ताकि वहां गांव के लोग आराम कर सकें। उसके बाद जल संग्रह के लिये 40 बीघा में फैले तालाब को 22 फीट गहरा किया गया है।
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